Kiriburu (Shailesh Singh) : जंगल का जानवर जंगल में नहीं रहेगा तो कहां रहेगा. हम कोई तोप हैं जो हाथियों के आगे खड़ा होकर उसे रोक लें. उक्त बात किरीबुरु के प्रभारी रेंजर शंकर भगत ने जिला परिषद सदस्य देवकी कुमारी से कहा. उल्लेखनीय है कि पिछले एक माह से दर्जनों हाथियों का समूह किरीबुरु-मेघाहातुबुरु शहर एवं आसपास के गांवों के ग्रामीणों के अलावे किरीबुरु-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग से यात्रा करने वाले लोगों के लिये भारी परेशानी का कारण बने हुये हैं. प्रायः लोग उक्त मार्ग से प्रतिदिन भारी भय एवं जान हथेली पर लेकर आवागमन करने को मजबूर हैं. वनोत्पाद के सहारे अपनी आजीविका चलाने वाले गरीब ग्रामीणों ने जंगल जाना छोड़ दिया है. इससे उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है. हाथी घने जंगलों को छोड़ किरीबुरु शहरी क्षेत्र एवं किरीबुरु-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग किनारे निरंतर डेरा डाले हुये हैं.
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जिप सदस्य देवकी कुमारी ने बताया कि इस समस्या से मुक्ति हेतु अनेक लोगों द्वारा उनसे आग्रह किया जा रहा है. इसी मामले को लेकर उन्होंने किरीबुरु के प्रभारी रेंजर शंकर भगत को फोन किया. उन्होंने अमर्यादित बातें करते हुये कहा कि हम क्या कोई तोप हैं कि हाथी के सामने खड़ा हो जाएं. हाथी जंगल में नहीं रहेगा तो कहां रहेगा. देवकी ने कहा कि हाथी जंगल में ही रहता है. लेकिन जब शहर, गांव व मुख्य सड़क पर रहने लगे तभी समस्या हो रही है. ऐसे पब्लिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों से हाथी को घने जंगलों में भेजने हेतु ही आग्रह किया गया, लेकिन वे जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं. रेंजर कभी भी किरीबुरु में नहीं रहते हैं. वह हमेशा चाईबासा में रहते हैं. उन्हें हाथियों से लोगों को हो रही परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है. उन्हें तो लकड़ी माफियाओं से भी कोई लेना नहीं है जो सारंडा से निरंतर लकड़ी काट सैडल व शांति स्थल मंदिर के बीच जंगलों से ओडिशा में ले जा रहे हैं. वे किरीबुरु में रहकर जंगल गश्ती करते तो यह दिखाई देता. देवकी ने कहा कि वे इस मामले की शिकायत सांसद, उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से करेंगी.