- दोनों गांव नक्सली नेताओं की शरणस्थली रही है
- अब यहां के ग्रामीण मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं
Kiriburu (Shailesh Singh) : पोटेता पंचायत का अत्यंत नक्सल प्रभावित गांव बुरुराईका एवं बेड़ाराईका में डीएमएफटी फंड से निर्मित अथवा निर्माणाधीन पेयजल आपूर्ति योजना शत-फीसदी फेल होने की वजह से दोनों गांवों के विभिन्न टोला के ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीणों ने कहा कि पूरी योजना में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच सक्षम अधिकारी करें और दोषी ठेकेदारों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही कर इस योजना हेतु स्वीकृत राशि का भुगतान रोकें तथा पुनः बेहतर तरीके से योजना को पूर्ण कराकर घर-घर पेयजल आपूर्ति बहाल कराये. दोनों गांवों की आबादी लगभग 5 हजार है. ये लोग इस पेयजल योजना से प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि इस योजना को प्रारम्भ हुये लगभग डेढ़-दो साल हो गये. 8 हजार क्षमता वाला जलमीनार से 35 घरों में कनेक्शन देना था, लेकिन मात्र 20 घरों को दिया गया. इसी तरह 5 हजार क्षमता वाला सिंटेक्स युक्त जलमीनार से बाकी घरों में पेयजल आपूर्ति करना है. दोनों गांवों में वर्तमान समय में दो-दो जलमीनार बनाया गया है, लेकिन किसी में सोलर, मोटर आदि नहीं है तो कहीं पाइप लाइन नहीं बिछाई गयी है. चारों जलमीनार से पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही है. सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर दी, लेकिन ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है.
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ग्रामीणों ने कहा कि हमारे गांवों को सरकार व पुलिस-प्रशासन ने घोर नक्सल प्रभावित गांवों की श्रेणी में डाल रखा है. ऐसे गांवों का सर्वांगीण विकास कर ग्रामीणों व भटके युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने की बात कहती है. लेकिन ऐसा विकास जब गांवों में होगा तो ग्रामीण किस पर भरोसा करेंगे. उल्लेखनीय है कि बुरुराईका गांव में ही कुछ वर्ष पूर्व 50 लाख रुपये का इनामी नक्सली नेता संदीप दा की टीम से पुलिस की मुठभेड़ हुई थी. इस क्षेत्र के जंगल नक्सली नेताओं की शरणस्थली रही है. ग्रामीण मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, इसके लिये वहां विकास योजनाएं ईमानदारी से पहुंचाना होगा.
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