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बुनियादी सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित
[caption id="attachment_688921" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="200" /> जंगल में काटे जा रहे पेड़.[/caption]
सारंडा वन क्षेत्र में जितनी खनिज व वन संपदा है, उससे कहीं अधिक समस्याएं भी है. अर्थात सारंडा के गर्भ में लौह अयस्क रूपी खनिज सम्पदा तो जमीन के उपर वन सम्पदा है. इसके बावजूद यहां निवास करने वाले वनवासी अथवा आम नागरिक बेरोजगारी, भुखमरी के साथ बुनियादी सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित हैं. सारंडा में सेल जैसे महारत्न कंपनी की चार खादानें किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुवा, चिड़िया के अलावे दर्जनों प्राईवेट खदानें प्रारम्भ से संचालित रही है. इन खादान प्रबंधनों की भी जिम्मेदारी रही है कि वह खदान क्षेत्र के गांवों के लोगों को नौकरी व रोजगार के साथ-साथ सर्वागीण विकास करें, लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायें. दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि नयी खदानों को खोलने के लिये जितना पेड़ काटा जा रहा है उतना वे नहीं लगा रहे है. बाहरी माफियाओं द्वारा जारी लकड़ी की तस्करी पर पूर्ण रोक लगे. ऐसे कुछ कार्यों से सारंडा जंगल में वन महोत्सव मनाने की जरूरत शायद नहीं पडे़. इसे भी पढ़ें :चाईबासा">https://lagatar.in/chaibasa-raid-campaign-against-illegal-lottery-started-one-arrested/">चाईबासा
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