Koderma : 5 जून 2020 को ही अध्यादेश जारी कर कृषि कानून को लागू किया गया था. कृषि कानून का विरोध भी जारी है. शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कुशाहना, मेघातरी में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर तले तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया. इस अवसर पर झारखंड राज्य किसान सभा (एआईकेएस) के नेता असीम सरकार ने कहा कि 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी और तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ जनांदोलन शुरू किया था.
उन्होंने कहा कि कृषि कानून के माध्यम से निजी कंपनियों के हाथों कृषि मंडियों को सौंपा जा रहा है, जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी नहीं होने से आने वाले दिनों में बड़े व्यापारियों की उपज पर कब्जा हो जाएगा और औने-पौने दाम में किसान की फसल खरीदेंगे. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों की जमीन छीन ली जाएगी. जनविरोधी सरकार के खिलाफ देश में एक नई क्रांति की जरूरत है.
इसे भी पढ़ें – ट्विटर ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का पर्सनल अकाउंट फिर वेरिफाई किया, ब्लू टिक हटने से मचा था बवाल
किसान आंदोलन में सभी लोग साथ दे रहे हैं
वहीं सीटू नेता संजय पासवान ने कहा कि देश में जो किसान आंदोलन चल रहा है, उसका लेना-देना इस देश के 135 करोड़ लोगों के पेट से है, दिल्ली की सड़कों पर मजदूर, नौजवान, महिलाएं, डॉक्टर, छात्र, कलाकार सभी किसान आंदोलन में शामिल हैं, देश का किसान बचेगा, तभी देश बचेगा. किसान पूरी ताकत के साथ लड़कर और हर कुर्बानी देकर इस लड़ाई को जीतेगा. ग्यासुद्दीन अंसारी की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में भिखारी तुरी, कन्हाई सिंह, राजेश भुइयां, शिवनंदन कुमार, कारू भुइयां, टिंकु भुइयां आदि शामिल थे.