Ranchi: छठी जेपीएससी से जुडी याचिकाओं पर झारखंड हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है ये हम आपको अपनी इस रिपोर्ट के जरिये बता रहे हैं. झारखंड हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के अंतिम परिणाम के बाद बनी मेरिट लिस्ट को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने जेपीएससी को आठ सप्ताह में नयी मेरिट लिस्ट जारी कर सरकार को भेजने और सरकार को चार सप्ताह में नयी मेरिट लिस्ट के आधार पर कैडर आवंटित करने का निर्देश दिया है. हालांकि कोर्ट ने छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को रद्द करने से इनकार कर दिया है. जिससे कई अभ्यर्थियों को राहत मिली है. इस संबंध में दाखिल सभी याचिका खारिज कर दी गयी है.
कुल 16 याचिकाएं की गई थी दायर
जेपीएससी की छठी परीक्षा के अंतिम परिणाम को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट में कुल 16 याचिकाएं दायर की गयी थी. अपनी-अपनी याचिका के माध्यम से किसी ने मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी तो किसी ने आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कुछ याचिकाओं में उम्र सीमा में निर्धारण को चुनौती दी गयी थी. अदालत ने मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी को सही माना और अन्य याचिकाएं रद्द कर दी.
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इन याचिकाओं पर तीन से 17 फरवरी तक सुनवाई हुई थी.17 फरवरी को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने आदेश सुनाया. जेपीएससी ने 23 अप्रैल 20 को 326 अभ्यर्थियों को सफल घोषित करते हुए मेरिट लिस्ट सरकार को भेजी थी. जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जेपीएससी ने नियमों के अनुसार मेरिट लिस्ट जारी नहीं किया है. मेरिट लिस्ट तैयार करने में क्वालीफाइंक मार्क्स को भी जोड़ दिया गया है. जबकि जेपीएससी के नियमों में क्वालीफाइंग मार्क्स जोड़ने का प्रावधान नहीं है. नियमों के खिलाफ तैयार मेरिट लिस्ट को वैध नहीं माना जा सकता. इस कारण अदालत इसे अवैध मानती है और इस मेरिट लिस्ट को रद्द करती है.