Ranchi: कोविड के बढ़ते संक्रमण को रोकने और आंशिक लॉकडाउन में लोगों की जीविका पर ज्यादा असर नहीं पड़े, इसके लिए हेमंत सरकार सुनियोजित तरीके से काम कर रही है. हेल्थ सेक्टर को बेहतर बनाने के लिए लिए मुख्यमंत्री पिछले 20 दिनों में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को हरी झंडी दिखा चुके हैं. इसका परिणाम यह हुआ है कि आज संक्रमित मरीजों के ठीक होने का ग्राफ जहां बढ़ा है, वहीं पॉजिटिव केस आने का आंकड़ा कम हुआ है.
समय रहते आंशिक लॉकडाउन व जागरूकता
रिकवरी रेट कम होने का कई कारण माना जा रहा है. इसमें सबसे प्रमुख कारण सही समय में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह (आंशिक लॉकडाउन) का लगाना है. मात्र 15 दिन के बाद ही सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा गया. इसके अलावा प्रशासनिक स्तर पर भी सख्ती बरती गयी. लोगों को मास्क पहने और वैक्सीन लेने के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. संक्रमण की पहचान के लिए जांच अभियान चलाया गया. कई विशेष अभियान चलाकर अधिक संक्रमित मरीजों की पहचान की गयी. उसके बाद उपचार की व्यवस्था की गयी.
चिकित्सा सुविधाओं में सुधार की पहल शुरू
आंशिक लॉकडाउन के बाद राज्य सरकार ने अस्पतालों में बेड बढ़ाने की पहल शुरू की. सभी जिलों में रैपिड टेस्टिंग सुविधा को बढ़ा गया. संजीवनी वाहन से 24 घंटे ऑक्सीजन आपूर्ति दी जाने लगी. कोविड सर्किट के जरिये जरूरतमंदों का इलाज किया गया. कम समय में 21,430 बेडों की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी. मानव संसाधन की कमी को देख 2,000 प्रशिक्षित नर्सों की तत्काल बहाली का आदेश जारी किया गया. इसके अलावा होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए मुफ्त कोविड किट का वितरण किया गया. प्रवासी मजदूरों के लिए आइसोलेशन व वाहन की व्यवस्था की गयी. बेकार पड़े बहुमंजिला पार्किंग लॉट को कोविड अस्पताल में बदला गया.
निर्माण, कृषि, मनरेगा कार्य बंद से मुक्त
संक्रमण रोकने के साथ आंशिक लॉकडाउन में जीविकोपार्जन पर प्रभाव नहीं पड़े, इसके लिए राज्य सरकार ने कई कामों को पहले की तरह ही जारी रखा. इसमें निर्माण, कृषि, मनरेगा से जुड़े कार्य शामिल हैं. इन कामों के लिए सरकार ने ई-पास की अनिवार्यता हटा दी गई है. इसके अलावा बैंकिंग कोरेस्पोंडेंट दीदी के जरिये गरीबों को पेंशन लाभ देने की सुविधा भी जारी रखी गयी है. जीविकोपार्जन को देखते हुए सख्ती बरतने के साथ ही राज्य सरकार ने दोपहर 2 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति दी. इससे लोगों के सामने भूखे रहने की नौबत नहीं आयी.