Nitesh Ojha
Ranchi : जानिए इन्हें. ये हैं झारखंड प्रदेश कांग्रेस के एगो बड़का नेताजी. इनकी ही पार्टी के विधायक इनके नाक के नीचे इधर-उधर मुंह मारते रहे, लेकिन इन्हें हवा तक नहीं लगी. कांग्रेस आलाकमान ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी. पद संभालते ही लंबी-लंबी हांकने लगे. कहे लगे कि जल्दिए बोर्ड-निगम का गठन करा कर पार्टी कार्यकर्ताओं को एडजस्ट कराएंगे, लेकिन कुछो न करा सके. खुद फुदक-फुदक कर सीएम के पास जाए लगे, पर अपनी पार्टी के लोगों को सम्मान नहीं दिला सके. धरना-प्रदर्शन तक सिमटे रहे. बीच-बीच में प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा को कोसते रहे. हां, एक कहावत जरूर चरितार्थ करते रहे- बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना. खुद विधायक नहीं हैं, लेकिन ठस्सा विधायकों से कम का नहीं. एक साल बीतने को है, लेकिन अबतक अपनी कमेटी का गठन भी न करा सके. हां, गिरिडीह में एगो चिंतन शिविर करा कर हांका खिंचने लगे. कहे लगे… चिंतन शिविर में संगठन को मजबूत बनाने को लेकर मंथन हुआ है. उसे इंप्लीमेंट कराएंगे, लेकिन उनकी पार्टी के विधायक अपने मन के राजा बने रहे, बकर-बकर करते रहे, महानुभव कुछो न कर सके.
विधायकों ने गच्चा दिया, तो अकबकाइल कहे लगे- कोई न बचेगा
कांग्रेस के 10 विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी को गच्चा दिया, लेकिन कांग्रेस के मलिकार को पता भी नहीं लग सका. फिर खिसियानी बिल्ली खंभा नोचेवाली कहावत चरितार्थ करते रहे. कहे लगे कि सबको चिह्नित किया जा रहा है. जल्द कार्रवाई होगी, लेकिन कुछो न कर सके. 10 विधायकों के बारे में पता भी न लगा सके कि किस-किस ने पार्टी लाइन से अलग जाकर राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग की है. इसके बाद पार्टी के 10 विधायकों के गायब होने की चर्चा का बाजार गर्म हुआ. राजनीतिक गलियारे में चर्चा आम हुई कि कांग्रेस के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं. लेकिन अपनवाले नेताजी से पूछा गया, तो उन्होंने कहा- अरे कोइयो ऐने-उने नहीं गया है. सभे विधायक लोग कंटैक्ट में बना हुआ है. सब अपने-अपने क्षेत्र में हैं. लेकिन कुछ ही दिनों बाद तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी कोलकाता में मोटी रकम के साथ धरा गए. नेताजी हांफे लगे. केस-मुकदमा हुआ, तीनों निलंबित किए गए, तो नेताजी कहे लगे- देखे न, हर हाल में कार्रवाई होगी. पार्टी विरोधी किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
विधायकों संग सीएम हाउस, लतरातू डैम से लेकर रायपुर तक की मस्ती
नेताजी भी अजबे हैं. सीएम हाउस में यूपीए विधायक दल की बैठक बुलायी गयी, तो पहले ही पहुंच गए. पूरी बैठक में जमे रहे. विधायकों के लतरातू डैम जाने की बात आयी, तो लपक कर आगे-आगे पहुंच गए. बस में सवार हुए, सेल्फी ली और पोस्ट करते रहे. फिर विमान सुख भी हासिल किया. विधायकों को रायपुर ले जाया गया, तो नेताजी भी लपक कर साथे निकल लिए. रिसार्ट में दो-तीन दिन रुके, फिर वहीं से दिल्ली उड़ गए. वहां महंगाई के विरोध में रैली में शामिल होना था. लेकिन नेताजी की गतिविधियां देख कर ऐसा लगा मानो पार्टी ने उन्हें विधायकों की निगरानी की जिम्मेवारी थोपी हो. लेकिन नेताजी तो अपने मन के आंगर हैं. अपने मन से ऐने-उने हाथ-पैर मारते रहे.
राज्यसभा चुनाव में तो अपनी फजीहत खुद करा ली
राज्यसभा की दो खाली हुई सीटों के लिए चुनाव होना था. अजबे नेताजी ने गजबे कर दिखाया. प्रत्याशी के रूप में अपने नाम की अनुशंसा खुद करा दी. कुछ और सीनियर नेताओं का नाम भी जोड़ा. फिर लगे सोशल मीडिया में हांका खींचने. आ रही है कांग्रेस. बीच-बीच में तर्नाइते भी रहे. कहे लगे कि राज्यसभा चुनाव में तो झामुमो गठबंधन धर्म निभाएगा. कांग्रेस को सीट मिलेगी. लेकिन उनकी हांका की ऐसी हवा निकली कि मुंह छिपाइले फिरते रहे. खिसिआए, रिसियाए रहे. फिर झामुमो प्रत्याशी को नोमिनेशन से भी दूर-दूर रहे. लेकिन जैसे ही रिजल्ट आया, दौड़ल महुआ को बधाई देवेला लपक लिए. फिर सीएम हाउस भी चहुंप गए. नेताजी बड़े हैं, बड़ी जिम्मेवारी भी मिली है, लेकिन ऊ जिम्मेवारी संभालिए नहीं पा रहे हैं. जेने-तेने टंगरी अड़ाईले रहते हैं. दो-तीन गो कास लोग बनाइले हैं, उन्हीं लोगों से घिरल रहते हैं.
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