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कोडरमा : ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ ने दिया एक दिवसीय धरना

Koderma : समाहरणालय के समक्ष ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के सदस्यों ने सोमवार को एक दिवसीय धरना दिया. ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ के अध्यक्ष कृष्णा सिंह ने कहा कि 1947 में माइका अधिनियम बनाया गया था और बिहार माइका एक्ट के तहत जमीन में 6 इंच नीचे तक के पदार्थ को माइका नहीं माना गया है,उसे स्क्रैप माना गया है. झारखंड अलग होने के बाद 2007 में एक नया एक्ट आया जिसमें माइका के स्क्रैप को खनिज पदार्थ नहीं कहा गया. जिले में रह रहे गरीब मजदूर माइका के स्क्रैप को चुन कर अपनी रोजी रोटी चलते हैं यहां के प्रशासन द्वारा माइका के स्क्रैप से लदे गाड़ियों को पकड़ा जाता है. जबकि सरकार द्वारा कहा गया है कि माइका स्क्रैप खनन पदार्थ नहीं है,ऐसे में एक राज्य में दो कानून चल रहे हैं. इसे भी पढ़ें-मानवमुक्ति">https://lagatar.in/phule-couple-and-jaipal-singh-munda-the-pioneers-of-human-emancipation-and-equality/">मानवमुक्ति

और समानता के अग्रदूत फुले दंपत्ति और जयपाल सिंह मुंडा

गिरिडीह में गाड़ियां नहीं पकड़ी जाती

हमारा पड़ोसी जिला गिरिडीह में ढिबरा स्क्रैप से लदी गाड़ियों को नहीं पकड़ा जाता है, वहीं कोडरमा जिला में ढिबरा स्क्रैप से लदे गाड़ियों को पकड़ा जाता है. वैसे लोग जिनकी रोजी रोटी इसी कामों से चलता है वे आज वंचित हो गए हैं. हमलोग ढिबरा कारोबार को लेकर राज्य सरकार के पास एक प्रतिनिधि मंडल भेजेंगे उसके बाद आगे की रूप रेखा तय करेंगे. हमारी दो मांगें हैं. पहली मांग पिछले पांच सालों से जितनी भी  माइका स्क्रैप से भरी गाड़ियों को पकड़ा गया है उसे छोड़ दिया जाय और दूसरी मांग बिहार माइका एक्ट के तहत हमें छूट दी जाये. मालूम हो कि ढिबरा स्थानीय लोगों का रोजगार का मुख्य साधन है. सरकार को भी चाहिए कि इस ओर विशेष ध्यान दें. [wpse_comments_template]  

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