Pravin Kumar
Koderma : लोगों के मन में आम धारणा है कि सरकारी अस्पतालों में बदइंतजामी होती है. वहां फैली गंदगी और बदबूदार वार्ड से मरीज ठीक होने के बजाए और बीमार होते जाते हैं. लेकिन इसी धारणा को कोडरमा के सदर अस्पताल ने बदलकर रख दी है. साफ-सफाई से लेकर इलाज की अच्छी व्यवस्था देखकर ही मरीज भी कहने लगे हैं कि जब यहां सारी सुविधा मिल रही है तो प्राइवेट अस्पताल क्यों जाएं.
कोडरमा सदर अस्पताल के ओपीडी में हर दिन करीब 700 मरीज इलाज के लिए आते हैं. हाल ही में देवघर के विधायक नारायण दास ने भी अस्पताल की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर तारीफ की थी. विधायक ने सरकार से अनुरोध किया था कि उनके जिला के सदर अस्पताल को ऐसा ही बना दिया जाए.
क्यों सुर्खियों में है कोडरमा सदर अस्पताल
कोडरमा सदर अस्पताल में सिर्फ 4 सरकारी चिकित्सक कार्यरत हैं. लेकिन जिला के डीसी के प्रयास से वर्तमान में कुल 17 चिकित्सक अस्पताल में अपनी सेवा दे रहे हैं. राज्य में नवजातों को बेबी किट देने की शुरुआत कोडरमा सदर अस्पताल से ही हुई. जिसके बाद झारखंड सरकार ने राज्यभर में इसे लागू किया. पैथोलॉजी लैब की बात करें तो हर दिन 350 के करीब नमूने जांच के लिए आते हैं. पहले यहां 15-20 तरह के टेस्ट होते थे, जो बढ़कर 94 तरह के हो गये हैं. यहां स्तन कैंसर, थायरॉयड और विटामिन आदि की जांच की जाती है. यहां 300 यूनिट ब्लड हर महीने खर्च होते हैं. थैलिसीमिया और रोड एक्सिडेंट के मरीजों को इलाज की खास सुविधा दी जाती है.
अस्पताल द्वारा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना से संसाधन का भी सृजन किया जा रहा है. इससे बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सक और पारा मेडिकल स्टाफ को भुगतान किया जाता है. साथ ही डिस्ट्रिक मिनिरल फंड का उपयोग कर अस्पताल की हर जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. कोडरमा राज्य का पहला जिला है, जहां आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के तहत इलाज करा रहे मरीजों को उपहार दिया जाता है. सदर अस्पताल में पेईंग वॉर्ड की सुविधा भी है. जिसे शुल्क के साथ मरीज लेते हैं, वह अक्सर ही भरा रहता है.
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ओपीडी
सदर अस्पताल के ओपीडी में ऑर्थो, आई, रेडियोलॉजी, डेंटल, गायनी, शिशु, मेंटल, मेडिसिन, कार्डियोलॉजी, फिजियोथेरेपी के मरीज आते हैं और स्वास्थ्य लाभ लेकर जाते हैं.
ओपीडी में इलाज करने वाले रोगियों की संख्या
साल | ओपीडी मरीज |
2020 | 92431 |
2021 | 94423
|
2022 | 150256
|
पैथोलॉजी लैब में किए गये नमूनों की जांच
मार्च 2023 | 7787 |
अप्रैल 2023 | 7299 |
मई 2023 | 8243 |
कोडरमा सदर अस्पताल में छुट्टी के दिन छोड़कर हर दिन करीब 700 ओपीडी मरीज इलाज के लिए आते हैं. जिसमें एक्स-रे 30, अल्ट्रासाउंड 30 से 35, मेजर सर्जरी 4 से 6, माइनर सर्जरी 8 से 10, सीटी स्कैन 5 से 10, डायलिसिस 8 से 10, डिलीवरी औसतन 7 से 10, पैथोलॉजी लैब 330 से 350 मरीज होते हैं. साथ ही अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीजों की संख्या 50 से 90 तक होती है.
अस्पताल की सूरत बदलने में विश्वास रखते हैं डीसी : सीएस
![सिविल सर्जन अनिल कुमार](https://i0.wp.com/lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/WhatsApp-Image-2023-06-11-at-6.39.50-PM.jpeg?resize=600%2C338&ssl=1)
सिविल सर्जन अनिल कुमार ने कहा कि सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों का नजरिया पहले नकारात्मक था. अब इसमें बदलाव आया है. मरीजों को दवाई मिल रही है, मुफ्त में इलाज हो रहा है. इससे लोगों का नजरिया भी बदला है. पिछले दो वर्षों में अस्पताल में गुणात्मक परिवर्तन हुए हैं. कहा कि ऐसा डीसी आदित्य रंजन की पहल और अस्पताल के कर्मियों की टीम स्पिरिट की वजह से ही संभव हो पाया है.
इस बारे में क्या कहते हैं कोडरमा के डीसी आदित्य रंजन
![डीसी आदित्य रंजन](https://i0.wp.com/lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/डीसी.jpg?resize=453%2C400&ssl=1)
जिला प्रशासन का प्रयास है कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर आम लोगों का विश्वास बना रहे. साथ ही उन्हें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिले. कोडरमा जिला प्रशासन लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए काम कर रहा है.
क्या कहते हैं मरीज
कोडरमा सदर अस्पताल आने वाले मरीज कहते हैं कि यहां की व्यवस्था प्राइवेट अस्पताल जैसी है. कोडरमा की ही प्रिया कुमारी का कहना है कि कोडरमा सदर अस्पताल निजी अस्पताल से बेहतरहै.मैं यहां अपनी डिलीवरी के लिए आयी हूं.सभी तरह की सुविधाएं अस्पताल में मौजूद हैं.मरीजों की भीड़ भी अच्छी व्यवस्था की वजह से ही ज्यादा है.
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वहीं एक अन्य मरीज अतुल कुमार कहते हैं, पिछले 2 सालों में अस्पताल बिल्कुल बदल गया है.नहीं के बराबर मरीजों को रेफर किया जाताहै. अब हमें प्राइवेट अस्पताल जाने की जरूरत नहीं, अस्पताल साफ-सुथरा रहता है. यहां डॉक्टर की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ गयी है. साथ ही इलाज की सुविधा और सफाई ऐसी है कि मरीज को प्राइवेट अस्पताल का मुंह नहीं देखना पड़ेगा. बताया कि एक डीसी को जिला के लिए जो काम करना चाहिए, वह कोडरमा डीसी आदित्य रंजन कर रहे हैं, जिसका नतीजा है कि अस्पताल में इलाज की सारी सुविधा उपलब्ध है.
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