अभी स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं
शमा ने कहा कि दस दिनों के आंदोलन के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. हमलोग ढिबरा चुन कर बेचकर घर का खर्च पूरा करते हैं. हमलोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या है. हम अभी स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं. हमारी पढ़ाई बाधित हो रही है. हमलोगों के पास खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं तो हमलोग अपनी पढ़ाई कैसे जारी रख पाएंगे. शमा ने कहा कि धरने में हर दिन लगभग 5 से 10 हजार रूपये खर्च होते थे. उतना पैसा हमलोगों के पास नहीं है. हमलोग ढिबरा से हर दिन लगभग 400 से 500 रूपये कमाते हैं. हमलोग हर दिन उतना खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं. उस वक्त कुछ लोगों ने हमारी मदद की थी. जिससे दस दिनों तक धरने पर बैठ पाए थे. पैसा नहीं रहने की वजह से हमारे गांव के एक मजदूर स्थिति बहुत गंभीर है. वह अपना इलाज भी नहीं करवा पा रहे हैं. अगर हमारी समस्या का निदान नहीं होगा तो हम सरकार तक जाएंगे. इसे भी पढ़ें- 10">https://lagatar.in/two-arrested-including-militant-bhikhan-ganjhu-rewarded-with-10-lakhs/">10लाख का इनामी उग्रवादी भीखन गंझू समेत दो गिरफ्तार, 26 मामलों में फरार व NIA का है मोस्ट वांटेड [wpse_comments_template]

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