Ranchi : आदिवासी बचाओ मोर्चा समेत विभिन्न संगठनों के बैनर तले शनिवार को राजधानी में विशाल विरोध मार्च निकाला गया. बापू वाटिका मोराहाबादी से शुरू हुआ यह मार्च अल्बर्ट एक्का चौक, राजभवन तक पहुंचा और सभा में तब्दील हुआ.
सभा में पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व मंत्री देवकुमार धान, प्रेमशाही मुंडा, लक्ष्मीनारायण मुंडा,निरंजना हेरेंज, फूलचंद तिर्की, बबलु मुंडा, सुरज टोप्पो, कुंदरसी मुंडा, सुशील पाहन शामिल हुए, कहा कि झारखंड के सर्वांगीण विकास में कुर्मी समाज रोड़ा बन रहा है. आदिवासी सूची में शामिल होने की मांग झारखंड को दो हिस्सों में बांटने की साजिश है. कुर्मी समाज के मंत्री और विधायक इस पूरे षड्यंत्र के दोषी हैं.
कुड़मियों को आदिवासी नहीं बनने देगें :निशा भगत
जब देश आजाद नहीं हुआ था, उस समय कुड़मी अपने आप को क्षेत्रिय समझते थे, आज देश आजाद हुआ तब कुड़मी आदिवासी का स्टेटस मांग रहा है. वक्ताओं ने कहा कि रेल टेका से आदिवासी नहीं बन सकता है. वे फर्जी तरीके से आदिवासी बनना चाहते हैं. केद्रीय सरना समिति के महिला अध्यक्ष निशा भगत ने कहा कि कुडमी हिंदू है. सभी धार्मिक, पांरपरिक हिंदू रिति रिवाज से चलता आ रहा है. कुड़मियो को रोटी छीनने नहीं देंगे. संविधान के नाम पर आदिवासियों को छलने का काम किया जा रहा है.
गृह मंत्रालय के मार्गदर्शक सिद्धांत का हवाला
संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि किसी भी समाज को आदिवासी बनाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय के मार्गदर्शक सिद्धांत लागू होते हैं. इसके तहत 18 बिंदुओं के मानक पूरे करने होते हैं और टीआरआई की सकारात्मक रिपोर्ट अनिवार्य है. कुर्मी समाज इन मानकों में कहीं से फिट नहीं बैठता, इसलिए उन्हें किसी भी कीमत पर आदिवासी नहीं बनाया जा सकता.
प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने के लगाए गए आरोप
संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि कुर्मी समाज आंदोलन के दबाव में प्रधानमंत्री तक को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है, जो पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी है. आज आंदोलन की शुरुआत हुई है. इसका विरोध दिल्ली तक गुंजेगा. जहां कुड़मी और आदिवासी रहते हैं. वहां आदिवासियों के साथ छुआ छूत अभी भी जारी है. कुड़मी गलत इतिहास रख रहा है. फर्जी इतिहास बताकर आदिवासी बनना चाहता है.
आदिवासी संगठनों की ये मांगें है
-किसी भी कीमत पर कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल न किया जाए.
-आदिवासी बचाओ मोर्चा इस मुद्दे पर हर स्तर पर विरोध जारी रखेगा.
-सभी आदिवासी संगठनों से अपील कि वे कुड़मी को आदिवासी बनाने के खिलाफ एकजुट हों.
-पेसा कानून, स्थानीय नियोजन नीति, भाषा-संस्कृति, खेल, कला, जमीन सुरक्षा जैसे संवैधानिक विषयों पर संयुक्त लड़ाई जारी रहे.
-इस मुद्दे पर शीघ्र ही बृहद बैठक आयोजित की जाएगी.
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