Search

Lagatar Expose: पाकुड़ में आठ माइनिंग कंपनियों ने EIA से बचने के लिए फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया

Sanjit Yadav
Ranchi: माइनिंग से जुड़ी आठ कंपनियों ने इंवायरमेंटल इंपैक्ट असेसमेंट (EIA) आदि से बचने के लिए फर्जी दस्तावेज का सहारा लिया. फर्जी दस्तावेज में लीज क्षेत्र को पांच हेक्टेयर के कम दिखाया गया. जबकि संबंधित कंपनियों को पांच हेक्टेयर या उससे अधिक क्षेत्रफल पर माइनिंग का अधिकार दिया गया था.
 
महालेखाकार द्वारा खनन क्षेत्र के ऑडिट के दौरान इस जालसाजी का पर्दाफाश हुआ है. हालांकि सरकार के स्तर से जालसाजी के इस मामले में अब तक किसी तरह की कार्रवाई किये जाने की सूचना नहीं है.
 
महालेखाकार ने पाकुड़ के जिला खनन पदाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेज के ऑडिट के दौरान पाया है कि जिले के आठ खदान मालिकों को खनन के लिए अधिकार पत्र दिया गया था. इसमें माइनिंग के लिए पांच हेक्टेयर या इससे अधिक क्षेत्रफल का उल्लेख किया गया था.
 
नियमानुसार पांच हेक्टेयर या इससे अधिक के क्षेत्रफल पर मानिंग शुरू करने से पहले स्टेट इंवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट ऑथरिटी (SEIAA) मे आवेदन देकर कई मामलो में अनुमति लेनी पड़ती है.
 

वास्तिवक व जालसाजी कर बदला हुआ क्षेत्रफल(हेक्टेयर में)

माइनिंग कंपनी वास्तविक बदला हुआ
अविनाश भगत 6.41 4.65
सीबी स्टोन 5.27 2.73
नजीमुद्दीन 5.54 4.32
फोर स्टार स्टोन 5.00 4.67
मनोज स्टोन वर्क्स 5.36 4.94
राजीव रंजम 6.75 4.02
जिशान स्टोन वर्क्स 5.40 2.75
गुरु स्टोन वर्क्स    7.06 3.39
 
SEIAA लीज धारकों के आवेदन पर विचार करने के बाद इंवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट (EIM) करती है और इंवायरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (EMP) स्वीकृत करती है. इसके अलावा खनन के मुद्दे पर स्थानीय लोगों की राय भी ली जाती है. 
 
पाकुड़ की आठ लीज धारक कंपनियों ने SEIAA द्वारा की जाने वाली इस प्रक्रिया से बचने के लिए जालसाजी की. लीजधारकों ने जिला खनन पदाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर का इस्तेमाल करते हुए एक फर्जी अधिकार पत्र तैयार किया, जिसमें माइनिंग का क्षेत्रफल पांच हेक्टेयर के कम दिखाया गया.
 
इस फर्जी अधिकार पत्र की वजह से इन लीजधारकों को EMI  और  EMP के बिना ही SEIAA से माइनिंग की अनुमति मिल गयी. महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा है कि SEIAA द्वारा जिला खनन पदाधिकारी के दस्तावेज का सत्यापन कराकर इस तरह की जालसाजी के बचा जा सकता था. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में क्रास वेरिफिकेशन का काम नहीं किया गया.