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Lagatar Investigation : PWD की अनदेखी कर अनरजिस्टर्ड कंपनी से कराया ऑपरेशन मेंटेनेंस कार्य, 35 करोड़ भी किया भुगतान

Amit Kumar Ranchi : पीडब्ल्यूडी गाइडलाइन के अनुसार अनरजिस्टर्ड कंपनी को सरकारी काम नहीं देना है. काम लेने से पहले कंपनी को संबंधित विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. मगर झारखंड पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में पीडब्ल्यूडी गाइडलाइन के तहत सभी काम नहीं होते हैं. धनबाद में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें पेयजल विभाग के अफसरों ने अनरजिस्टर्ड कंपनी वीएटेक (VA TECH WABAG LTD) को करोड़ों के ऑपरेशन मैनेजमेंट का काम दिया. यह कंपनी झारखंड पेयजल विभाग में रजिस्टर्ड नहीं है. फिर भी कंपनी धनबाद में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट(WTP) के ऑपरेशन मेंटेनेंस का काम पिछले 10 साल से कर रही है. झारखंड पेयजल विभाग के चंद अफसरों की बदौलत वीएटेक कंपनी 2011 से लगातार">https://lagatar.in/">लगातार

ऑपरेशन मेंटेनेंस का काम हासिल कर रही है. अबतक पेयजल विभाग से कंपनी को 35 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. हर साल कंपनी को ऑपरेशन मेंटेनेंस के लिए करीब 3 करोड़ का भुगतान किया जाता है. अनरजिस्टर्ड कंपनी से काम कराने का मामला उजागर होता देख अफसरों ने वीएटेक कंपनी को गोपनीय ढंग से हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है. ऑपरेशन मेंटेनेंस के लिए कंपनी का चयन टेंडर प्रक्रिया के तहत करने का निर्णय लिया है. जिसकी कार्रवाई चल रही है. इसे भी पढ़ें - JMM">https://lagatar.in/jmm-admits-lapse-in-administration-bjp-said-government-is-targeting-their-workers/15755/">JMM

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दिल्ली जल बोर्ड ने कंपनी को किया डिबार

[caption id="attachment_15814" align="aligncenter" width="600"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2021/01/PWD2.jpg"

alt="Lagatar Investigation : PWD की अनदेखी कर अनरजिस्टर्ड कंपनी से कराया ऑपरेशन मेंटेनेंस कार्य, 35 करोड़ भी किया भुगतान " width="600" height="400" /> वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की तस्वीर[/caption] वीएटेक कंपनी देश के कई राज्यों में काम कर रही है. दिल्ली में भी कंपनी करोड़ों का काम कर रही थी. लेकिन कंपनी समय पर काम पूरा नहीं कर पायी. जिस वजह से दिल्ली जल बोर्ड ने वीएटेक कंपनी को डिबार कर दिया. डिबार होने से संबंधित नोटिफिकेशन सभी राज्यों को दिल्ली जल बोर्ड ने भेज दिया है. जिसके बाद पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ऑपरेशन मेंटेनेंस का काम वीएटेक कंपनी से नहीं करा सकता है.

कंपनी ने पहुंचायी लाखों रुपये राजस्व की क्षति

वीएटेक कंपनी झारखंड में 2011 सें काम करती आ रही है. कंपनी अगर पेयजल विभाग में रजिस्ट्रेशन कराती, तो लाखों रुपये का राजस्व सरकार को मिलता. 10 वषों से कंपनी लगातार.. काम करती आ रही है. ऐसे में कंपनी को दो बार रजिस्ट्रेशन रेन्यूवल कराना पड़ता. नियमत: पांच साल पर कंपनी को रजिस्ट्रेशन रेन्यूवल कराना होता है. ऐसे में कंपनी द्वारा दो बार रजिस्ट्रेशन रेन्यूवल कराने के एवज में करीब 10 लाख के राजस्व का भुगतान करना पडता. मगर कंपनी पेयजल विभाग के अफसरों की मेहरबानी से बिना रजिस्ट्रेशन के ही करोड़ों का काम लेते रही. इसे भी पढ़ें - चाईबासा">https://lagatar.in/former-dc-of-chaibasa-provided-500-million-profit-to-omm-company-saryu-rai-said-take-action-cm/15705/">चाईबासा

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रोजाना 77 एमएलडी पानी की आपूर्ति

पेयजल विभाग के धनबाद प्रमंडल-1 की ओर से रोजाना 77 एमएलडी (मिलियंस ऑफ लीटर पर डे) पानी की आपूर्ति की जाती है. पानी मैथन डैम से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में आता है. ट्रीटमेंट प्रोसेस के बाद पानी को पीने योग्य बनाकर जलापूर्ति की जाती है. रोजाना करीब चार लाख लोगों को पानी अरबन वाटर स्कीम के तहत मिलता है. इस पूरे प्रोसेस के ऑपरेशन और मेंटेनेंस का काम पिछले 10 वर्षों से वीएटेक कंपनी करती आ रही है.

जल्द हो जाएगा कंपनी का चयन : मनीष

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग धनबाद प्रमंडल -1 के तहत ऑपरेशन मेंटेनेंस के लिए जल्द कंपनी का चयन कर होगा. इस संबंध में प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता मनीष कुमार ने बताया कि कंपनी के चयन के लिए टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है. वीएटेक कंपनी 2011 से ही ऑपरेशन मेंटेनेंस का काम करते आ रही है. सिविल वर्क के तहत हर साल कंपनी 3 करोड़ से ज्यादा का काम करती है.

अफसरों की वजह से नहीं करा पाये रजिस्ट्रेशन : टी मंडल

वीएटेक कंपनी के प्रिंसिपल इंजीनियर टी मंडल ने बताया कि कंपनी का इतिहास 90 साल पुराना है. कई राज्यों में काम चल रहा है. दिल्ली में कंपनी को डिबार किया गया. उसके खिलाफ हाइकोर्ट में अपील हुआ है. झारखंड में कंपनी ने रजिस्ट्रेशन कराने की कोशिश की. मगर अफसरों ने क्वारी कर मामला लटका दिया. कंपनी यहां रजिस्टर्ड नहीं है. फिर भी कंपनी को ऑपरेशन मेंटेनेंस काम इसलिए मिलता रहा. क्योंकि विभागी टेंडर में कोई आता ही नहीं था. पहले काम लेने के दो माह तक विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने का नियम नहीं था. अब ऐसा नियम आया है, तो कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा किया है. अभी भी कंपनी का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग पर 4.50 करोड़ की लेनदारी है. इसे भी पढ़ें - देखें">https://lagatar.in/watch-video-how-a-woman-policeman-slapped-the-asi-who-molested/15761/">देखें

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