- दिवंगत रचनाकारों को दी गई श्रद्धांजलि
Ranchi : हरमू स्थित झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दलान पर मैथिली के आलोचक, कथाकार, अनुवादक एवं अंग्रेजी के सेवानिवृत्त प्राध्यापक ललितेश मिश्र एवं ओड़िया के प्रमुख साहित्यकार जयंत महापात्र के निधन पर शोकसभा की गयी. इस मौके पर शहर के वरिष्ठ साहित्यकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. दूरदर्शन के पूर्व निदेशक प्रमोद कुमार झा ने कहा कि ललितेश मिश्र का असमय हम सबके बीच से चले जाना मैथिली साहित्य के लिए एक बड़ी क्षति है. अंग्रेजी प्राध्यापक के पद से सेवानिवृत्ति के बाद वह निरंतर अपनी मातृभाषा मैथिली में साहित्य सृजन के प्रति समर्पित थे.
सुलझे हुए साहित्यकार थे- केदार कानन
मैथिली पत्रिका भारती मंडन के संपादक केदार कानन ने कहा कि ललितेश मिश्र लगातार साहित्य सृजन में संलग्न थे और मैथिली के युवा साहित्यकारों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करते रहते थे. प्राध्यापक डॉ नरेंद्र झा ने कहा कि ललितेश लोकप्रिय अध्यापक, मिलनसार मित्र एवं सुलझे हुए साहित्यकार थे. उन्होंने शास्त्रीय आलोचना को आधुनिक विमर्शों से जोड़ा और नई रचनात्मक प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया. सुपरिचित कवि कृष्णमोहन झा ने कहा कि ललितेश जी एक अच्छे कथाकार भी थे और मिथिला मिहिर में उनकी कई कहानियां प्रकाशित हुईं. उनकी कहानियों का संग्रह बीच बैतरणी में शानदार कथा संग्रह है.
ललितेश मिश्र का निधन बहुत दुखद- अमरनाथ झा
कथाकार अमरनाथ झा ने कहा कि ललितेश मिश्र का निधन बहुत दुखद है. मैथिली साहित्य एवं मिथिला समाज को उनसे काफी उम्मीदें थीं. उन्होंने मैथिली कविताओं का अनुवाद कर उसे पाएड पोएसी के रूप में प्रकाशित किया, जिस पर काफी चर्चा हुई और मैथिली काव्य साहित्य के विविध स्वरों से अंग्रेजी पाठकों का परिचय हुआ. वहीं महासचिव बीएन झा एवं जयंत झा ने भी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
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