Ranchi : भाषा संस्कृति को बचाये रखना है, इसे विलुप्त होने से बचाना है. सोमवार को टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा संचालित रुम्बुल के द्वारा राज्य में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कला संस्कृति, हासा- भाषा को बचाने की पहल हो रही है. इसमें हजारों मुंडा युवा ने प्रशिक्षण ले रहे हैं. मुंडारी भाषा के शिक्षक रतन नाग ने बताया कि डॉ रामदयाल मुंडा द्वारा स्थापित रुम्बुल का अर्थ कंपन होता है. डॉ रादयाल मुंडा के अधूरे सपने को पूरा करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने झारखंड के कला संस्कृति हासा भाषा को देश विदेश में पहचान दिलाने का काम किया. विलुप्त हो रही नाच गान को भी प्रशिक्षण देकर झारखंड की संस्कृति को संजोने का काम कर रहे हैं. आधुनिकता के दौर से युवा अखड़ा संस्कृति से विमुख हो रहे हैं. ढोल नगाड़ा बजाना भूल रहे हैं. अपनी मुल संस्कृति से भटक रहे हैं.इसे बचाने के लिए राज्य भर में हजारों सेंटर चलाये जा रहे हैं. जिसमें कुडुख के रांची, चाइबासा समेत 75 जगहों में प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है. पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, घाटशिला, सिमडेगा में 500 सेंटर के माध्यम से माय माटी की कला संस्कृति को नया जीवंत करने का काम किया जा रहा है. इसे भी पढ़ें – झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-cabinet-commission-to-be-formed-for-triple-test-survey-approval-of-3960-posts-in-secondary-schools/">झारखंड
कैबिनेट : ट्रिपल टेस्ट सर्वेक्षण के लिए बनेगा आयोग, माध्यमिक विद्यालयों में 3,960 पदों की मंजूरी [wpse_comments_template]
भाषा - संस्कृति को बचाये रखना है, इसे विलुप्त होने से बचाना है : रतन नाग

Leave a Comment