कृत्रिम की तुलना में इस खुखड़ी की कीमत चार गुना ज्यादा
दरअसल खुखड़ियों का स्वाद नॉनवेज से मिलता है. ऐसे में सावन माह में इसकी डिमांड अधिक होती है. दाम अधिक होने के बावजूद लोगों इसे खरीदते हैं. खुखड़ी की कीमत अधिक इसलिए भी होती है, क्योंकि इसकी खेती नहीं की जाती है. यह बरसात के मौसम में जंगलों के बीच अपने आप निकलता है. डेढ़ महीने ही ये निकलते हैं. कृत्रिम रूप से भी को खुखड़ी का उत्पादन किया जाता है. लेकिन इसके स्वाद और जंगल में निकले खुखड़ी के स्वाद में काफी अंतर होता है. लोगों को जंगली खुखड़ी ज्यादा पसंद आती है. इसलिए कृत्रिम खुखड़ी की तुलना में इसकी कीमत चार गुना ज्यादा है. खुखड़ी बेच रही जिरमनिया ने बताया कि बरसात के इस एक डेढ़ महीने में ही खुखड़ी उपलब्ध हो पाता है. खास कर सावन व भादो में यह मिलता है. अभी खुखड़ी का दाम चार से पांच सौ रुपये मिल जाता है. खुखड़ी लाने के लिए वह सभी अहले सुबह ही जंगल की ओर निकल जाती है. कभी किस्मत अच्छी रही तो काफी मात्रा में खुखड़ी मिलती है, अगर किस्मत खराब रही तो खाली हाथ भी लौटना पड़ता है. जंगलों से चुन कर वे महुआडांड़ में आकर खुखड़ी बेचती हैं. इससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. इसे भी पढ़ें -रांची">https://lagatar.in/ghost-haunts-ranchi-civil-court-premises-the-sound-of-anklets-heard-in-the-night/">रांचीसिविल कोर्ट परिसर में भूत का साया! रात में सुनाई देती पायल की आवाज [wpse_comments_template]
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