Latehar : प्रज्ञा केंद्र यूनियन (JRPKSU) के प्रदेश महासचिव रितेश महलका ने कहा कि राज्य में हजारों की संख्या में प्रज्ञा केंद्रों का संचालन हो रहा है. राज्य के तकरीबन सभी पंचायत व शहरों में प्रज्ञा केंद्र खोले गए हैं. इन प्रज्ञा केंद्रों के जरिए समाज के अंतिम व्यक्ति तक केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाता है. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण प्रज्ञा केंद्र संचालक बदहाल हैं. कई प्रज्ञा केंद्र तो बंद हो गए हैं और कई बंदी के कगार पर हैं. जो केंद्र चालू हैं, उनके संचालक किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. महलका ने कहा कि लोग लाखों रुपए लगाकर प्रज्ञा केंद्र खोलते हैं, जिसमें सिर्फ सरकार के पोर्टल से आईडी और पासवर्ड मिलता है. उसके बाद महीने का इंटरनेट से लेकर बिजली, स्टाफ, दुकान का किराया आदि मद में अच्छी खासी रकम खर्च होती है. ऊपर से परिवार चलाने की जिम्मेवारी भी. संचालकों की दयनीय माली हालत के बावजूद सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है. सरकार की जब कोई योजना आती है, तो कम समय में टारगेट पूरा करना होता है. आयुष्मान कार्ड, श्रमिक कार्ड, मंईयां सम्मान योजना सहित अन्य योजनाओं में दिन-रात मेहनत कर टारगेट पूरा किया जाता है. लेकिन भुगतान महीनों बाद मिलता है, वो भी बार-बार कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद. ऐसे में प्रज्ञा केंद्र संचालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
मतदान पर निर्णय के लिए बैठक 11 को
रितेश महलका ने बताया कि लातेहार जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्र लातेहार व मनिका में 13 नवंबर को मतदान होना है. प्रज्ञा केंद्र संचालक यूनियन की बैठक 11 नवंबर को होगी, जिसमें दोनों विधानसभा के करीब 600 संचालकों के भाग लेने की संभावना है. बैठक में चुनाव में किस दल या प्रत्याशी को समर्थन देना है, इस पर निर्णय लिया जाएगा. प्रज्ञा केंद्र संचालकों की ग्राम स्तर पर अलग पहचान है. ग्रामीणों का एक बड़ा वर्ग इनसे जुड़ा है. 2019 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश कमेटी के आह्वान पर पूरे झारखंड में यूनियन ने झामुमो को समर्थन दिया था.
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