Latehar: जिला मुख्यालय में कई ऐसी योजनाएं हैं, जो जमीन विवाद के कारण पूरी नहीं हो सकी है. शहर के केंद्रीय विद्यालय रोड में 90 लाख रूपये की राशि से महिला आईटीआई कॉलेज का निर्माण आज से दो दशक पहले से कराया जा रहा था. डोर लेवल तक निर्माण होने के बाद भूमि के दावेदारों ने काम को रोक दिया. मामला अदालत में पहुंचा. अदालत में काम रोकने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि यह उनकी बंदोबस्ती भूमि है और बगैर अधिग्रहण किये सरकारी निर्माण कराया जा रहा है, जो गलत है. सरकार की ओर से अदालत में तथ्यगत पक्ष नहीं रखे जाने की वजह से सरकार केस हार गई. इस तरह जनता का लाखों रुपये पानी में बह गया.
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एकलव्य विद्यालय समेत कई मामलों में भी अटका मामला
ऐसी ही स्थिति 10 करोड़ 92 लाख रुपए की लागत से पतरातू ग्राम में निर्माणाधीन एकलव्य विद्यालय की है. भवन निर्माण का कार्य लगभग 50 फीसदी पूर्ण हो गया तो प्रभावित भूमि दावेदारों ने मामले को अदालत में ले गये. सुनवाई के उपरांत अदालत द्वारा काम को रुकवा दिया गया. बाद में यह मामला झारखंड हाईकोर्ट तक पहुंचा. नतीजतन यह निर्माण कार्य अभी भी अधर में है. शहर के बाजारटांड़ में राजकीय प्राथमिक विद्यालय, बानपुर जमीनी विवाद के कारण डेड एसेट में तब्दील हो गया है. स्कूल की भूमि पर रैयतों ने अपनी दावेदारी पेश की और अदालत में मामला पहुंचा. अदालती कार्रवाई के उपरांत विद्यालय की भूमि विवादास्पद पायी गयी और उस विद्यालय को ही बंद करना पड़ा. योजनाओं के क्रियान्वयन से पहले भूमि चयन में ही प्रक्रियाओं और सरकारी प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया. इससे सरकार पैसे की बर्बादी हो रही है. ऐसा ही एक मामला केंद्रीय विद्यालय रोड स्थित बाजार समिति शेड की है. लगभग दो करोड़ रुपए खर्च करने के उपरांत उस भवन का निर्माण अधर में लटक गया. इन सभी सरकारी योजनाओं में जनता की गाढ़ी कमाई फंसी हुई है. न तो इनका कोई उपयोग हो रहा है और ना तो दोषियों पर कोई कार्रवाई हो रही है.
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