NewDelhi : UPSC में लेटरल एंट्री विवाद को लेकर बड़ी खबर आयी है. विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच मोदी सरकार ने इससे संबंधित विज्ञापन रद्द करने के लिए UPSC चेयरमैन को पत्र लिखा है. यानी अब सीधी भर्ती नहीं होगी. सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है. बता दें कि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) द्वारा लैटरल एंट्री के जरिए 45 पदों पर नौकरियां निकाले जाने पर विपक्ष मोदी सरकार पर भड़क गया था. सरकार के इस कदम को आरक्षण विरोधी करार दिया था.
STORY | Govt asks UPSC to cancel latest lateral entry advertisements
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— Press Trust of India (@PTI_News) August 20, 2024
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा
“…I urge the UPSC to cancel the advertisement for the lateral entry recruitment issue on August 17, 2024. This step would be a significant advance in the pursuit of social justice and empowerment.” – reads the letter written by Minister for the Department of Personnel and… pic.twitter.com/yj2cNc3Vb8
— ANI (@ANI) August 20, 2024
खबरों के अनुसार केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गयी है.
पत्र के अनुसार सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है. पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था.
प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में. इससे पहले UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था.
लेटरल भर्ती में उम्मीदवार बिना UPSC की परीक्षा दिये रिक्रूट किये जाते हैं
जान लें कि लेटरल भर्ती में उम्मीदवार बिना UPSC की परीक्षा दिये रिक्रूट किये जाते हैं. इसमें आरक्षण के नियमों का फायदा नहीं मिलता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध जताया था. कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीनने की कोशिश की जा रही है.
नौकरशाही में लेटरल एंट्री नयी बात नहीं है
जब विवाद बढ़ा तो केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पलटवार करते हुए कहा कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नयी बात नहीं है. 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान लेटरल एंट्री होती रही है केंद्रीय मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का उदाहरण दिया.
भर्तियां अनुभव और काम के आधार पर होनी थी
45 संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर के पदों पर सीधी भर्ती की जानी थी. अलग-अलग मंत्रालय में सीधी भर्ती होनी थी. भर्तियां अनुभव और काम के आधार पर होनी थी. सरकार ने अब फैसला ले लिया है कि लैटरल एंट्री नहीं होगी.
लैटरल एंट्री कॉन्ट्रैक्ट बेस पर तीन साल के लिए होनी थी
इसकी आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. लैटरल एंट्री कॉन्ट्रैक्ट बेस पर तीन साल के लिए होनी थी. जॉइंट सेक्रेटरी के लिए 17 साल का, डायरेक्टर के लिए 10 साल का और डिप्टी सेक्रेटरी के लिए सात साल का अनुभव मांगा गया था. इसके अलावा पदों के हिसाब से ही शैक्षिक योग्यता मांगी गयी थी विपक्ष मोदी सरकार के इस फैसले के विरोध कर रहा था. बता दें कि मोदी सरकार ने 2019 में पहली बार सीधी भर्ती के जरिए इन पदों पर भर्ती की थी.