Basant Munda
Ranchi : एक ओर सरकार आदिवासी समाज के उत्थान और आत्मनिर्भरता की बातें कर रही है, वहीं रांची के मोरहाबादी में स्थित आदिवासी कल्याण विभाग की बदहाल इमारत इन दावों को कटघरे में खड़े कर रही है.
भवन के बाहर लगे बड़े हरे बोर्ड और चमचमाती सफेद टाइल्स भले ही आधुनिक व्यवस्था का आभास कराते हों, लेकिन अंदर की हालत चिंताजनक है. बरसात शुरू होते ही छत से टपकते पानी ने विभाग की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है.
बारिश में रिसता सिस्टम : ऑफिस के भीतर बैठने के लिए एल्यूमिनियम की कुर्सियां जरूर हैं, लेकिन पानी टपकने से कार्यालय का ग्राउंड फ्लोर भीग जाता है. इससे आने-जाने वाले आम लोगों के फिसलने का खतरा बना रहता है.
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसी विभाग में हर साल हजारों आदिवासी छात्र-छात्राओं और युवाओं से जुड़ी योजनाओं की फाइलें लंबित रहती हैं, वे भी अब पानी में भीगने लगी हैं.
टपकती छत, फटी टिन शीट : विभाग की छत की टिन शीटें जगह-जगह से फटी हुई हैं, जिससे बारिश का पानी सीधे फर्श पर गिरता है और अंदर पानी जमा हो जाता है. कर्मचारी दिन भर बाल्टियों और डिब्बों से पानी बाहर निकालने में व्यस्त रहते हैं.
‘नेता पास, समाधान दूर’ : आश्चर्य की बात यह है कि इसी परिसर के सामने झारखंड सरकार के मंत्री चमरा लिंडा का कार्यालय भी है. फिर भी विभाग की मरम्मत और देखरेख को लेकर कोई गंभीर पहल नहीं की जा रही है.
यह बदहाल स्थिति न सिर्फ शासन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करती है, बल्कि उन हजारों आदिवासी विद्यार्थियों और हितग्राहियों के भविष्य को भी प्रभावित कर रही है, जो इसी विभाग से उम्मीदें लगाए बैठे हैं.