किसानों के साथ वादाखिलाफी का हो रहा है विरोध
उस आंदोलन को बदनाम करने के लिए केंद्र सरकार ने सारे हथकंडे अपनाये. किसानों के एक साल 15 दिन तक संघर्ष और सात सौ से ज्यादा कुर्बानियों के बाद केन्द्र सरकार ने तीनों काले कानून को वापस किया. एमएसपी व अन्य सवालों पर किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर समाधान का वादा किया था. लेकिन अब केन्द्र सरकार किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही है. इस नीति के खिलाफ 31 जनवरी को देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं. उसके समर्थन में वामपंथी पार्टियों के अह्वान पर प्रतिरोध सभा की जा रही है. सभा में आह्वान किया गया कि निजीकरण के खिलाफ 28-29 मार्च को आम हड़ताल को सफल कर केन्द्र सरकार को करारा जवाब दें. किसानों के साथ विश्वासघात करने वाली केन्द्र सरकार को उखाड फेंकें. इस अवसर पर मासस नेता आगम राम,बादल बाऊरी,कार्तिक दत्ता, माले नेता नागेन्द्र कुमार, मनोरंजन मलिक, हरेन्द्र सिंह, सीपीएम नेता संतोष घोष, अजीत मिश्रा, सीपीआई नेता रामशोभित प्रसाद, मो मुश्ताक व गणेश महतो, पीएल मुर्मू, जितेंद्र शर्मा, राजू राय, अंजू चटर्जी, मंजू देवी, सरिता देवी, प्रतिमा देवी, प्रभा देवी, मीना देवी, जानू बाउरी, शिवानी दास, आशा कुमारी, साबिर बास्की, गुलफन पंडित आदि मौजूद थे. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-crane-work-of-dvc-panchet-completed-freedom-from-financial-loss/">धनबाद: डीवीसी पंचेत के क्रेन का काम पूरा, आर्थिक क्षति से मिली मुक्ति [wpse_comments_template]

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