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3.45 करोड़ की देनदारी, एचईसी पर पड़ गया भारी

संकट में देश का मातृ उद्योग कोर्ट ने सीएमडी कार्यालय सील कर कार्यालय के समान को जब्त करने का आदेश दिया है - देश ही नहीं, विदेशों में भी कंपनी ने बनाई अपनी अलग पहचान -चंद्रयान मिशन और रक्षा उपकरणों का निर्माण कर अरबों रुपए का बचत किया

Ranchi : एशिया का सबसे बड़ा भारी उद्योग, मदर ऑफ इंडस्ट्रीज और कारखानों का मंदिर कहे जाने वाले हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) ने चंद्रयान मिशन के लिए लॉचिंग पैड, होरिजेंटल स्लाइडिंग डोर, ईओटी क्रेन का निर्माण कर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बनाई है. इतना ही नहीं, विदेशों में बनने वाले उपकरणों का निर्माण कर एचईसी ने देश के अरबों रुपए बचाए. मगर वर्तमान में आर्थिक संकट की वजह से कंपनी बंदी के कगार पर पहुंच गया है. आलम यह है कि स्थापना काल के समय 22 हजार स्थायी कर्मचारियों को वेतन देने वाली एचईसी कंपनी को 3 करोड़ 45 लाख 25 हजार 508 रुपए के लिए फजीहत झेलनी पड़ रही है. अब कंपनी से पैसा वसूलने वालों की संख्या बढ़ते जा रही है.

जीएम ऑफिस को सील करने की कार्रवाई शुरू

मंगलवार को मजिस्ट्रेट पवन कुमार, अधिवक्ता परमेश्वर महतो और जिला पुलिस बल के दर्जनों जवान एचईसी मुख्यालय पहुंचे. मजिस्ट्रेट ने कॉमर्शियल कोर्ट के न्यायाधीश एनसी झा का आदेश दिखाते हुए सीएमडी कार्यालय, तीनों प्लांट के जीएम ऑफिस को सील करने की कार्रवाई शुरू की. मजिस्ट्रेट ने बताया कि कंपनी ने वर्ष 2012-13 में राउरकेला की कंपनी पायोनियर इंडस्ट्रीज से रॉ-मैटेरियल ली थी. मगर एचईसी ने सप्लायर कंपनी को 3.45 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया. जिसके एवज में कोर्ट ने सीएमडी कार्यालय सील कर, कार्यालय के समान को जब्त करने का आदेश दिया है. इसमें प्रीसिंपल अमाउंट मात्र 22,36,386 रुपए है. जिसका इंट्रेस्ट 2015 तक 95,46,635 था, जिसमें बढोतरी हुई है. वर्तमान में कंपनी को 3.45 करोड़ पायोनियर इंडस्ट्रीज को देने हैं.

कार्यालय के सामान को जब्त करने का आदेश

मजिस्ट्रेट ने बताया कि भुगतान से संबंधित मामला कोर्ट में चल रहा था. एचईसी कंपनी को भुगतान का आदेश दिया गया, मगर कंपनी ने भुगतान नहीं किया. सेटलमेंट का भी अवसर दिया गया, मगर एचईसी ने सेटलमेंट नहीं किया. जिसके बाद कोर्ट ने सीएमडी कार्यालय सील कर, कार्यालय के सामान को जब्त करने का आदेश दिया है

तीनों प्लांट के जीएम ऑफिस के सामानों को किया गया सूचीबद्ध

मजिस्ट्रेट ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन किसी भी हाल में होगा. सीएमडी कार्यालय सहित तीनों जीएम ऑफिस का सामान भी जब्त किया जाएगा. इस संबंध में अधिवक्ता परमेश्वर महतो ने बताया कि राउरकेला की कंपनी पायोनियर इंडस्ट्रीज ने बकाया भुगतान के लिए एचईसी को कई बार पत्र लिखा. मगर कंपनी ने भुगतान नहीं किया. पायोनियर इंडस्ट्रीज ने राशि वसूली के लिए कोर्ट से गुहार लगाई. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के बाद एनसी झा के कोर्ट ने आदेश दिया है कि एचईसी के सीएमडी कार्यालय, तीनों प्लांट के जीएम कार्यालय को सीएल कर सामान जब्त किया जाए. आज पहले चरण में जीएम एफएफपी, जीएम एचएमबीपी और जीएम एचएमटपी कार्यालय के सामानों की सूची बनाई गई. उनका एसेसमेंट किया गया. कंपनी के लोगों को बताया गया कि वे सूची में शामिल किसी भी सामान का उपयोग अब नहीं करेंगे. अगर कंपनी जल्द राशि का भुगतान नहीं करती है, तो कार्यालय को सील करने की कार्रवाई की जाएगी.

कंपनी पर 1200 करोड़ से ज्यादा की देनदारी

एचईसी कंपनी के ऊपर वर्तमान में 1200 करोड़ से ज्यादा की देनदारियां हैं. जिसमें रोजाना बढोतरी हो रही है. जो देनदारियां हैं, उसमें वेंडरों का 140.11 करोड़, सरकार का कर्ज 117.58 करोड़, बैंक लोन 202.93 करोड़, सीआइएसएफ का 121 करोड़, बिजली बिल मद में 153.83 करोड़, वेतन मद में 38.28 करोड़, ठेका कर्मियों का 15.94 करोड़, एरियर मद में 4.89 करोड़, पानी शुल्क मद में 48.06 करोड़, सिक्युरिटी डिपॉजिट 37.89 करोड़ सहित अन्य मदों में 37.45 करोड़ रुपए बकाया है. वहीं दूसरी तरफ तकरीबन 3200 कर्मचारियों के 16 माह का वेतन भी बकाया है. 31 मार्च 2023 को एचईसी प्रबंधन ने अपनी देनदारियों की जानकारी भारी उद्योग मंत्रालय को देते हुए आर्थिक सहयोग मांगा था.

विदेशी सहयोग से अरबों में बने हैं तीनों प्लांट

एचईसी के सबसे बड़े प्लांट फाउंड्री फोर्ज प्लांट (एफएफपी), हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट (एचएमबीपी) और हेवी मशीन टूल्स प्लांट (एचएमबीपी) की स्थापना अरबों रुपए में हुई थी. वर्तमान में 3.45 करोड़ रुपए के लिए तीनों प्लांट के जीएम कार्यालय के सामानों को सूचीबद्ध किया गया. सामानों के रेट का आकलन किया गया. एक समय एचएमबीपी प्लांट की स्थापना 470 मिलियन की लागत से रूस के सहयोग से हुई थी. चेक गणराज्य के सहयोग से एफएफपी प्लांट की स्थापना हुई थी, जिस पर 1090 मिलियन लागत आई थी. वहीं कंपनी के सबसे छोटे एचएमटीपी प्लांट की स्थापना 250 मिलियन की लागत से हुई थी, जिसमें चेक गणराज्य ने सहयोग किया था. इसे भी पढ़ें – झारखंड">https://lagatar.in/harkhand-dma-did-transfer-posting-of-21-city-managers/">झारखंड

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