Deepak Ambastha
झारखंड में त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे में 3 लोग मर गए ,कई दर्जन मरते मरते बचे , जो कभी यह हादसा भूल नहीं पाएंगे. झारखंड सरकार ने बता दिया है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाएगी. आप जांच के निष्कर्षों का इंतजार कीजिए.मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक की आंख ,कान त्रिकूट पर्वत देवघर पर टंगे हैं. झारखंड में और भी जहां-जहां रोप वे हैं वहां अगले हादसे का इंतजार करें, क्योंकि हर जगह व्यवस्था एक जैसी है सरकारी. जहां हादसे नहीं हुए हैं समझिए भगवान वहां खुद खड़े हैं.
रोप वे हादसे की जांच हो जाएगी, “सच” सामने आ जाएगा कार्रवाई भी हो जाएगी ,कोई बलि चढ़ेगा तो कोई बच निकलेगा, बस यह सवाल अनुत्तरित रह जाएगा कि आखिर हादसा हुआ क्यों ? सरकार पर्यटकों को मुफ्त में झूले नहीं झुलाती, वह वहां से राजस्व वसूलती है, लोग टिकट लेकर, पैसे लगाकर रोपवे पर इस भरोसे से चढ़ते हैं कि उसकी सारी व्यवस्था दुरुस्त होगी और उस पर चढ़ने वालों की जान सुरक्षित रहेगी, क्योंकि किसी पर्यटक को यह नहीं पता होता है कि भ्रष्टाचार का दीमक रोपवे की रस्सियां ,ट्रॉली और वहां की तमाम व्यवस्था को चाट चुका है.
यह बात तो तब सामने आती है जब कोई हादसा होता है, सवाल है कि हादसों का इंतजार क्यों ? त्रिकूट पर ऐसी कोई व्यवस्था क्यों नहीं बनी जो फुलप्रूफ या किसी बड़े हादसे की आशंका न हो, जहां पर्यटकों की जान को खतरा ना हो ? जांच किसकी होगी और क्यों होगी जबकि हर बात तो दीवार पर साफ-साफ लिखी है, पर्यटकों की मौत और दहशत का जिम्मेदार कौन है.
यह सरकारी व्यवस्था और लूट की मानसिकता ही तो ऐसे हादसों का निमंत्रण पत्र है फिर जांच करके आप किसे खोजने चले हैं ? जो तंत्र त्रिकूट रोपवे व्यवस्था की जिम्मेवारी संभाल रहा था सीधे-सीधे उसे सजा क्यों नहीं, सरकारी जांच पूरी होगी ,कब होगी ,यह जांच कितनी सही होगी सब की सब बातें सवालों के घेरे में है. हो सकता है सरकार मुआवजा बांटने निकल पड़े मरने वालों को लाखों और डरने वालों को हजारों, लेकिन बेहतर होता है कि ईमानदारी से इस चोर व्यवस्था को बदलने की कोशिश होती ताकि ऐसे हादसे दोबारा ना हों.