Ranchi: आप शराब के शौकिन हैं. क्या आपने ऐसी व्यवस्था की कल्पना की थी, जिसमें मनपसंद ब्रांड की शराब पीने के लिए आपको बार में जाना होगा. क्योंकि घर में लाकर पीने के लिए सरकार ने जो दुकानें खोल रखी हैं, उसमें हर ब्रांड के शराब नहीं मिलते.
यह स्थिति बनी है उत्पाद विभाग के उन अधिकारियों की वजह से जिनकी जिम्मेदारी गोदाम से दुकान तक शराब पहुंचाने की है. वह उसी ब्रांड के शराब या बियर दुकानों में सप्लाई करते हैं, जिससे उन्हें अलग से लाभ मिलता है. बार से भी अतिरिक्त लाभ मिलने की वजह से ही उन्हें हर ब्रांड के शराब मिल जाते हैं. जिस ब्रांड के लोग अधिकारियों से नहीं मिलते, उनकी सप्लाई ही कम या बंद कर दी जाती है.
शराब बिक्री से जुड़े लोगों से बात करने पर यह भी पता चला है कि झारखंड में शहर से लेकर हाईवे तक जो बार खुले हुए हैं, उन पर सरकार का नियंत्रण भी कमजोर है. बार में शराब किस रेट पर प्रति पैग के हिसाब से बिकेगा, इसे लेकर सरकार के स्तर पर कोई नीति ही नहीं तय है ना ही कोई रेट तय है.
यही कारण है कि सड़क किनारे के बार और अच्छी व्यवस्था वाले बार में प्रति पैग शराब की कीमत में कोई फर्क नहीं होता. अमूमन एक बोटल (750ml) शराब को पैग (30 या 60 ml) में बेच करके बार मालिक 4 से 5 गुणा तक अधिक कीमत वसूल कर रहे हैं.
शराब के शौकिनों के लिए दिक्कत यह है कि दुकान से खरीदने जाएंगे तो मनपसंद ब्रांड नहीं मिलेगा और मनपसंद ब्रांड की शराब पीने के लिए बार में जाएंगे, तो 4 से 5 गुणा कीमत चुकानी पड़ेगी. अफसरों को चिंता नहीं, क्योंकि उन्हें दुकानों में सारे ब्रांड ना पहुंचाने की कीमत मिल जाती है, बार मालिकों को तो फायदा है ही, परेशान हैं तो इसके शौकीन.
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