Ranchi : झारखंड शराब घोटाला में एसीबी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे उत्पाद विभाग में हुए भ्रष्टाचार और वहां पदस्थापित रहे अधिकारियों की करतूत की परत दर परत खुलती जा रही है.
एसीबी की जांच में यह हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है कि प्रिंट मूल्य से ज्यादा कीमत पर शराब की बिक्री में एक बड़ा सिंडिकेट काम कर रहा था और उत्पाद विभाग का जो अधिकारी इस सिंडिकेट की बात मानने या इसके इशारे पर चलने से इंकार करता था उसका ट्रांसफर कर दिया जाता था.
अधिकारियों के ट्रांसफर के लिए मैन पवार सप्लाई करने वाली कपनी विजन के अधिकारी पुनीत अग्रवाल नाम के व्यक्ति से उत्पाद सचिव मिलते थे और मनचाहा काम नहीं करने वाले अधिकारियों को किनारे लगा दिया जाता था.
जून महीने में कोर्ट में दिए एक बयान में एक अधिकारी ने यह कबूला है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव चतरा, जमशेदपुर और हजारीबाग जिले के उत्पाद अधीक्षक प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत पर शराब बिक्री करने में रोड़ा बन रहे थे और उन्हें विजन कंपनी की बैंक गारंटी फर्जी फर्जी होने की भी जानकारी हो गई थी इसलिए उनका ट्रांसफर दूसरे जिले में करवा दिया गया और उन्हें यह हिदायत भी दी गई कि इस काम में बाधा न बनें.
इस काम के लिए तत्कालीन उत्पाद सचिव को 45 लाख रुपए विजन कंपनी के प्रतिनिधि ने दिए. इसके अलावा प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत पर शराब बिक्री से होने वाली वसूले गए पैसे भी विजन कंपनी के एक कर्मचारी ने पुनीत अग्रवाल की मौजूदगी में तत्कालीन सचिव के पुंदाग स्थित आवास पर पुनीत अग्रवाल की मौजूदगी में दिए गए.
वर्ष 2024 में सिर्फ जुलाई महीने और अगस्त महीने में अलग-अलग तारीखों पर सवा करोड़ रुपए से ज्यादा कैश पहुंचाया गया. यह पैसा प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत पर बेची गई शराब से आए कमीशन का था. कोर्ट में दिए बयान में यह भी बताया गया है कि एक बिल के भुगतान के लिए तत्कालीन उत्पाद सचिव ने मैन पवार सप्लाई कंपनी से 50 लाख रुपए लिए. नीरज कुमार का 164 का यह बयान पांच पेज का है जो कोर्ट में दर्ज करवाया गया है.
प्रिंट रेट से ज्यादा कीमत में हुई वसूली का ऐसे होता था बंटवारा
45 % विजन एवं अन्य मैन पवार सप्लाई कंपनी
55% उत्पाद सचिव, उत्पाद आयुक्त और उत्पाद अधीक्षक


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