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शराब घोटाला : योगेंद्र तिवारी से ईडी ने की सात घंटे पूछताछ, फिर बुलाया

28 अगस्त को फिर पूछताछ के लिए बुलाया Ranchi :  ईडी की टीम ने शराब घोटाला मामले में किंगपिन योगेंद्र तिवारी से करीब सात घंटे पूछताछ की.  तिवारी को 28 अगस्त को फिर पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा है.  योगेंद्र तिवारी शनिवार की दोपहर ईडी के रांची जोनल ऑफिस पहुंचे थे. अपने साथ तीन बैग में कागजात लेकर आये थे.  गौरतलब है कि योगेंद्र तिवारी ने साल 2021-22 में शराब के थोक कारोबार का ठेका हासिल किया था. झारखंड के सबसे बड़े शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने अपने राजनीतिक और नौकरशाही में संबंधों के जरिए राज्य में शराब के थोक कारोबार में वर्चस्व स्थापित किया था. साल 2021 में सरकार की थोक शराब नीति लागू होने के बाद योगेंद्र तिवारी ने अपने सिंडिकेट के जरिए 19 जिलों में शराब के ठेकों पर कब्जा स्थापित किया था. उत्पाद विभाग को भेजे गए बैंक खातों से तब इस बात का खुलासा हुआ था.

प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी से ईडी के अफसरों की जासूसी करायी जाती थी

ईडी के अधिकारियों को जानकारी मिली है कि योगेंद्र तिवारी द्वारा ईडी के अफसरों की जासूसी भी करायी जाती थी. साथ ही उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी. योगेंद्र तिवारी बीते कई महीनों से ईडी के अफसरों की जासूसी कराते थे. बकायदा इसके लिए प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी की भी मदद  लिए जाने की सूचना ईडी को मिली है. बुधवार को योगेंद्र तिवारी से पूछताछ के दौरान अधिकारियों ने इस संबंध में भी जानकारी मांगी थी. जानकारी के मुताबिक, प्रेम प्रकाश के यहां हुए छापे के बाद ही योगेंद्र तिवारी ईडी की रडार पर आ गये थे. तब से ही उसके द्वारा ईडी के अफसरों की गतिविधि पर नजर रखी जाती थी. कई बार ईडी के अफसरों के कहीं आने जाने की रेकी भी कराने की बात सामने आयी है. इस संबंध में भी योगेंद्र तिवारी से पूछताछ की गई.

क्या है झारखंड में शराब घोटाला का मामला

छ्त्तीसगढ़ शराब कंसलटेंट, सप्लायरों और झारखंड के उत्पाद विभाग ने झारखंड के सरकारी राजस्व को 450 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा कराया है. झारखंड में नयी शराब नीति का सलाहकार अरुण पति त्रिपाठी ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का सरगना है. उस पर आरोप है कि वह केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ की राज्य की सहमति के बिना ही झारखंड में सलाहकार बना था. नियमानुसार झारखंड में सलाहकार बनने के लिए उसे अपने मूल विभाग व छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेना आवश्यक था. उस पर छत्तीसगढ़ में कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें एक फर्जी कंपनी बनाकर छत्तीसगढ़ में होलोग्राम छापने का आरोप भी है. जिन तीन कंपनियों को छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला केस में नाम सामने आ रहा है, झारखंड की शराब नीति में भी उनका सीधा हस्तक्षेप है. इसे भी पढ़ें –  रांची">https://lagatar.in/ranchi-operation-of-the-child-of-sacred-heart-school-lasted-for-six-hours-the-condition-is-still-critical/">रांची

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