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पशुधन योजना :  1420 में से 500 लाभुकों को स्वीकृति के बाद भी नहीं मिला लाभ

Chulbul Ranchi : ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग खेती-बाड़ी करते हैं. खेती-बाड़ी खासकर मॉनसून सीजन में ही होती है. जिसके कारण ग्रमीणों ने पशुपालन के तरफ रुख मोड़ा. इसी के तहत झारखंड राज्य में पशुधन योजना की शुरुआत की गयी. स्वरोजगार के इस साधन में सहायता के लिए कल्याण विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में पशुधन योजना की शुरुआत की. रांची जिला में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 582 आवेदनों की स्वीकृति दी गयी है. पर लाभुक को इस योजना का लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है.  जिले को वर्ष 2020-21 में भी कुल 2170 लाभुकों को लाभ देने का लक्ष्य दिया गया था. 1657 आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें से 1420 आवेदकों को स्वीकृति दे दी गयी थी. पर इसमें से 490 लाभुक को अब भी लाभ नहीं मिल सका है.

दो महीने से डीडीसी के पास शेड के लिए आवेदन लंबित

2020-21 में कई लाभुक को योजना का लाभ इसलिए नहीं मिल पाया, क्योंकि बैक्यार्ड लेयर कुक्कुट पालन, बॉयलर कुक्कुट पालन और शुकर पालन के लिए शेड की जरूरत है. विभाग पशुओं का वितरण लाभुक को तभी करता है जब उनके पास शेड हो. जो लाभुक शेड की व्यवस्था नहीं कर सकते, उन्हें मनरेगा योजना के तहत शेड उपलब्ध कराया जा सकता है. इसके लिए कल्याण विभाग ने डीडीसी विशाल सागर को पत्र लिख लाभुकों को शेड उपलब्ध कराने की अपील की. पर लगभग दो माह बीत जाने के बाद भी यह कार्य पूरा नहीं हो पाया.

विभाग से संशोधन की अपील गयी है  : डीडीसी

मनरेगा के तहत शेड के लिए आवेदन पेंडिंग होने के मामले में डीडीसी विशाल सागर ने कहा कि कल्याण विभाग यह योजना मनरेगा के साथ टैगिंग कर चलाता है. मनरेगा के तहत जो शेड बनाया जाता है, वह इस योजना के अनुरूप नहीं है. पशुपालन विभाग से जो गाइडलाइन मिले थे, वो काफी छोटा था. मनरेगा में वैसा शेड नहीं बनाया जाता है. वहीं मनरेगा में शेड के लिए जितना आकलन है, वह उससे ज्यादा था. विभाग को इसमें संशोधन करने के लिए कहा गया है. संशोधन होते ही हम पशुधन लाभुकों को शेड उपलब्ध करा देंगे.

वित्तीय वर्ष खत्म होने को, मात्र 582 लाभुक ही चयनित

रांची जिले में इस वर्ष (2021-22) 2170 लाभुकों को योजना का लाभ देना था. पर वित्तीय वर्ष खत्म होने में लगभग 2 महीने का समय है. पर अभी भी मात्र 582 लाभुकों को ही योजना का लाभ मिल पाया है. हालांकि इसके लिए 1089 आवेदन प्राप्त हुए, पर सभी स्वीकृत नहीं किये गये. जानकारी के अनुसार, सही और पूरे कागजात नहीं होने के कारण लाभुकों के आवेदन रिजेक्ट किये जा रहे हैं.

जानें क्या है योजना और क्या मिलता है लाभ

रांची जिले में योजना का संचालन इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट अथॉरिटी (आईटीडीए) करता है. योजना का उद्देश्य लोगों को कृषि के अलावा दूसरा रोजगार का साधन देना और स्वरोजगार बनाना है. इसके तहत लाभुकों को बकरी, मुर्गा, सूअर और बत्तख दिये जाते हैं. साथ ही योजना के माध्यम से सरकार राज्य में दूध, मांस और अंडा का उत्पादन कर आय वृद्धि करने का भी लक्ष्य रखती है. प्रत्येक योजना में हर लाभुक को 5 बकरे, 420 लेयर पक्षी, 15 बत्तख, 525 बॉयलर कुक्कुट और 5 सूअर दिये जाते हैं.

क्या है योजना के लिए पात्रता

  • योजना के लिए गांव का चयन कलस्टर के हिसाब से किया जाता है.
  • गांव में लाभुक का चयन ग्राम सभा करती है.
  • लाभुक स्थानीय निवासी होना चाहिए. इसके लिए उन्हें आवासीय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र देना अनिवार्य है.
  • पशुपालक या किसान को ही योजना का लाभ दिया जा सकता है.
  • आवेदक के पास योजना के लिए पर्याप्त जगह, पानी आदि की व्यवस्था होनी चाहिए.
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