Ranchi: झारखंड में इन दिनों 3 से 9 घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है.राज्य में बिजली उत्पादन की कमी और दूसरे राज्यों पर निर्भरता का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है. ओडिशा में एनटीपीसी के पावर प्लांट में गड़बड़ी आने के कारण झारखंड में बिजली की कटौती बढ़ गई है. जहां डीवीसी के कमांड एरिया में 9 घंटे तक बिजली कट रही है, वहीं राजधानी रांची में 3 से 4 घंटे तक लोड शेडिंग हो रही है.
2200 मेगावाट बिजली की जरूरत, राज्य उत्पादित कर रहा 400 मेगावाट
झारखंड को प्रतिदिन 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत है. राज्य अपने संसाधनों के बूते करीब 400 मेगावाट बिजली ही उत्पादित कर पा रहा है. जबकि बाकी बिजली की कमी दूसरे राज्यों से पूरी की जाती है. झारखंड के सिकीदिरी जल परियोजना में बिजली उत्पादन की क्षमता 2X65 मेगावाट और तेनुघाट ताप विद्युत घर की क्षमता 2X210 मेगावाट है.
2024 से पहले राहत मिलने के आसार नहीं
2024 तक झारखंड को बिजली की किल्लत से राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है. क्योंकि PVUNL की पहली यूनिट से बिजली का उत्पादन 2024 से पहले होने के आसार नहीं हैं. पतरातू में 800 मेगावाट के तीन विद्युत संयंत्र की स्थापना हो रही है. पहली यूनिट का संचालन 2023-24 में संभावित है. ऐसे में राज्य को 800 मेगावाट बिजली मिलने में कम से कम डेढ़ से 2 साल लगेंगे.
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NTPC कोरवा और फरक्का से कर रहा बिजली आपूर्ति
पतरातू में स्थापित एनटीपीसी को 2015 में हुए समझौते के मुताबिक पुरानी यूनिट से 115 से 120 मेगावाट बिजली देना था, लेकिन पर्यावरण और अन्य वजहों से यूनिट का संचालन नहीं हो पाया. उसके एवज में एनटीपीसी कोरवा और फरक्का-3 से 50-50 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर रही है.