Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने JMM से निष्काषित संथाल परगना के बोरियो के निवर्तमान विधायक लोबिन हेंब्रम की सदस्यता रद्द किये जाने के आदेश पर फिलहाल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. शुक्रवार को लोबिन हेंब्रम की याचिका पर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पीकर कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए स्पीकर कोर्ट में चली सुनवाई से जुड़े रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. लोबिन हेंब्रम की ओर से अधिवक्ता अनुज कुमार और विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने बहस की. वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शाहबाज ने अपना पक्ष रखा.
लोबिन ने स्पीकर कोर्ट द्वारा सदस्यता रद्द करने के फैसले को झारखंड हाईकोर्ट में दी है चुनौती
बता दें कि बोरियो के निवर्तमान विधायक लोबिन हेंब्रम ने 25 जुलाई को विधानसभा के स्पीकर कोर्ट द्वारा उनकी सदस्यता रद्द करने के फैसले को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि स्पीकर ने विशेष दबाव में आकर या फैसला लिया है. यह बोरियों की जनता के साथ एक विश्वास घात करने जैसा है. याचिका में कहा गया है कि मॉनसून सत्र की घोषणा पहले हो चुकी थी और उसे सत्र में लोबिन अपने क्षेत्र से जुड़े दो सवालों को पटल पर रखने वाले थे, जिसकी अनुमति भी स्पीकर से प्राप्त हो चुकी थी. उसका जवाब भी आना था. लेकिन एकाएक स्पीकर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर करने का फैसला सुना दिया. स्पीकर कोर्ट का यह फैसला पूरी तरह से असंवैधानिक है, क्योंकि एक ही पार्टी के दो सदस्यों के एक ही कृत्य को लेकर अलग-अलग रवैया अपनाया जा रहा है. उन्होंने विधायक चमरा लिंडा का उदाहरण दिया है और उन्होंने कहा है कि चमरा लिंडा ने भी पार्टी के आदेश की अवहेलना करते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि वह 1995 में भी इस तरह से चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं उन्होंने 2024 में चुनाव लड़ा. इसके बाद यह कार्रवाई हुई है. लोबिन हेंब्रम ने पार्टी से निष्कासित किये जाने मामले को भी अपनी याचिका में उठाया है. उन्होंने कहा है कि पार्टी से निष्कासित करने के लिए केंद्रीय कमेटी की सहमति का होना जरूरी है. लेकिन पार्टी संविधान को दरकिनार कर उन्हें पार्टी से निकाला गया जी न्याय संगत नहीं है.
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