Lohardaga: भंडरा प्रखंड के मसमानो पंचायत से 111 लोगों ने रोहतासगढ़ किले का भ्रमण किया. बिहार का रोहतासगढ़ का किला आदिवासियों की ऐतिहासिक धरोहर मानी जाती है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इसे लेकर ग्राम प्रधान सुकरा पाहन और मसमानो पंचायत की मुखिया ममता कुमारी को नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई. उन दोनों की अगुवाई में दल पहाड़ एवं घाटी के पगडंडी से होते हुए रोहतासगढ़ किला प्रांगण पहुंचा. ग्रामीण सबसे पहले यहां पर करम के पेड़ की पूजा की.
ग्राम प्रधान एवं मुखिया ने कहा कि बिहार राज्य का रोहतासगढ़ किला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थल है. यह भारत के सबसे प्राचीन दुर्गों में से एक है. कहा जाता है कि इस किले का निर्माण आदिवासी राजा के द्वारा किया गया था. बाद में मुगल शासक ने इसे अपने कब्जे में लिया. कहा जाता है कि आदिवासियों की जनी शिकार की परंपरा का संबंध इसी स्थान से है. जब महिलाओं ने पुरूष वेश धारण कर दुश्मनों का सामना किया और बहादूरी से लड़ीं.
बता दें कि आदिवासी सरना समाज के लोग प्रत्येक बारह वर्ष में जनी शिकार करते हैं. करम पर्व के समय इसी रोहतासगढ़ की कहानी को सरना समाज के लोगों को बताया जाता है. कहा कि इसी रोहतासगढ़ में मुगल आक्रमण के बाद छोटानागपुर में आदिवासी उरांव समाज के लोग पहुंचे. अपने इतिहास को खोजना आदिवासी समाज के लिए पहला कर्तव्य है. बताया कि इस किले में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं. रोहतासगढ़ किला एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है, जो प्रतिवर्ष कई पर्यटकों को आकर्षित करता है.
मुखिया ने कहाक कि यह किला बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस भ्रमण कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों में पंचायत के लोगों में मुख्य रूप से अशोक उरांव, बासु उरांव, शिवदयाल उरांव, गोपाल उरांव, सूखना उरांव, बंधना उरांव, छोटू उरांव, जीतू उरांव, बबलू उरांव, कूल्हय उरांव, रामरति उरांव, प्रमोद उरांव की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
इसे भी पढ़ें – कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद के ट्वीट पर बीसीसीआई भड़का, रोहित शर्मा को मोटा और खराब कप्तान कहा था
हर खबर के लिए हमें फॉलो करें
Whatsapp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029VaAT9Km9RZAcTkCtgN3q
Twitter (X): https://x.com/lagatarIN
Google news: https://news.google.com/publications/CAAqBwgKMPXuoAswjfm4Aw?ceid=IN:en&oc=3