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लोकसभा के नतीजों से तैयार होगी विस चुनाव की जमीन, सोरेन परिवार व मीर की प्रतिष्ठा दांव पर

Prain Kumar Ranchi : ढाई माह के करीब चली चुनाव प्रक्रिया के पूरी होने के बाद अब सबकी नजरें चार जून पर टिकी हैं. चुनाव में जो भी नतीजा आएगा, उसकी बुनियाद पर ही विधानसभा की जमीन तैयार होगी. इस चुनाव में जहां सोरेन परिवार की साख दांव पर लगी हुई है. वहीं कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.

झामुमो के बागियों की ताकत का लगेगा अंदाजा

दुमका लोकसभा सीट से सोरेन परिवार की बड़ी बहु सीता सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा से चुनाव लड़ी है. राजमहल लोकसभा से झामुमो विधायक लोबिन और लोहदगा से विधायक चमरा लिंडा ने इंडिया गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा है. साथ ही खूंटी और कोडरमा लोकसभा से भी झामुमो से बगावत कर पूर्व विधायक बंसत लोंगा और कोडरमा से पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े हैं. हेमंत सोरेन के जेल में बंद होने के बाद सोरेन परिवार की कमान संभाल रही कल्पना सोरेन की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. झामुमो का गढ़ रहे संथाल परगना और कोल्हान में कितनी कामयाबी इंडिया गठबंधन को मिल पाती है. दुमका और राजमहल लोकसभा सीटो सोरेन परिवार की साख से जुड़ी हुई है.

मीर, बंधु और राजेश की प्रतिष्ठा दाव पर

कांग्रेस की जो पुरानी रवायत है, वह इस लोकसभा चुनाव कायम रही. पार्टी संगठन की जिम्मेवारी प्रदेश अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर पर थी. इन लोगों ने चुनाव से तीन माह पहले तक संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया. लेकिन चुनाव आते ही पार्टी प्रत्याशी के चयन के मामले में दिल्ली (आलाकमान) की ओर निहारने लगते हैं. लेकिन कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक चुनाव से तीन माह पहले ही आलाकमान के पास किसको टिकट देना है, वह गलत तथ्यों को संगठन को अनदेखा कर फिट करने में लग जाते हैं. इनकी नजरों में वैसे लोग ही प्राथमिकता सूची में हो तो है, जो आर्थिक रुप से संपन्न हो. इसके बाद भी चुनाव में कांग्रेस अपनी प्रदर्शन को बेहतर कर पाती है, तो श्रेय इनको मिलेगा ही लेकिन अगर हार होती है, तो सारी जबावदेही कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, अध्यक्ष राजेश ठाकुर और प्रभारी मीर की बनती है. इस लोकसभा चुनाव में इनकी प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है.

कई नेताओं ने विधानसभा की जमीन भी कर ली तैयार

झारखंड की राजनीति में इस लोकसभा चुनाव में कई नये चेहरे भी सामने आये हैं, जिसमें जयराम महतो गिरिडीह लोकसभा से और सिंहभूम लोकसभा से माधव चंद्र कुंकल, खूंटी से बबीता कच्छप जैसे प्रमुख लोग हैं. वहीं चुनाव में कई नेताओं द्वारा लोकसभा प्रत्याशी के लिए तो काम किया ही, साथ ही अपने लिए भी विधानसभा की जमीन तैयार कर ली. कुछ नेता जो पिछले विधानसभा चुनाव के बाद अपना असर रसूख गवां चुके थे. उनको अब दोबारा लोगों के बीच विचरने का मौका मिला और उन्होंने अपनी जमीन तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

झामुमो के लिए आर-पार का होगा नतीजा

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रस से सीट लेकर झामुमो ने सिंहभूम लोकसभा से जोबा माझी को खड़ा किया है. अगर झामुमो की प्रत्याशी जोबा माझी चुनाव जीत जाती है. साथ ही राजमहल और दुमका में भी पार्टी जीतती है, तो सोरेन परिवार में पार्टी को नेतृत्व करने वाला एक मजबूत वैकल्पिक चेहरा हेमंत सोरेन के जेल में बंद होने के बाद कल्पना सोरेन के रूप में मिलेगा. इस जीत का असर ये होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो को मजबूती मिलेगी. [wpse_comments_template]

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