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लोक सेवा समिति ने CM से की मुलाकात, सिलेबस में विलुप्त हो रही भाषा-संस्कृति को शामिल करने की मांग

Ranchi: लोक सेवा समिति के प्रतिनिधि मंडल ने गुरूवार को सीएम हेमंत सोरेन से विधानसभा कक्ष में मुलाकात की. सीएम को झारखंड में विलुप्त हो रहे बोली भाषा, संस्कृति के पुनर्जीवित करने और प्राइमरी से हाई स्कूल तक क्षेत्रीय बोली-भाषा की पढ़ाई अनिवार्य करने और संबंधित विषयों के शिक्षकों की बहाली की मांग की. साथ ही सभी स्कूलों में अखरा का निर्माण, दोना पत्तल, मिट्टी के कुल्हड़ आदि का इस्तेमाल को बढ़ावा देने संबंधी एक ज्ञपन सीएम को सौंपा. इसे भी पढ़ें- विधानसभा">https://lagatar.in/vidhan-sabha-speakers-team-beat-chief-ministers-team-leaders-enjoy-cricket-in-friendly-matches/39251/">विधानसभा

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समिति की ओर से कहा गया कि झारखंड में 32 जनजातियां रहती हैं. जिसमें 9 जनजातियों की भाषा नागपुरी है. यहां 9 भाषा बोली जाती हैं, 3 जनजातीय भाषा हैं. 4 क्षेत्रीय भाषा-संथाली, मुंडारी, खड़िया, कुडुख और हो हैं. क्षेत्रीय भाषा-नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया. तीनों भाषा के परिवार अलग-अलग हैं; आर्य भाषा परिवार में हैँ नागपुरी, कुरमाली, खोरठा और पंचपरगना. 9 जनजातियों की मातृभाषा नागपुरी है. लोहरा, कुरमाली, चीक बड़ाईक, घासी, बेदिया आदि जनजातीय सिंधी(सदानी) भाषा परिवार, कुडुख, अग्निय भाषा, संथाली, मुंडारी, हो है. इन सभी का विकास करना राज्य की भाषा और संस्कृति को जिवित रखने के लिए जरूरी है. इसे भी देखें-    

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