Ranchi : इस वर्ष 20 जून को रथ यात्रा है. इससे पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान जगन्नाथ 108 घड़ों के पानी से स्नान के बाद बीमार पड़ जाते हैं. रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा कि सहस्त्रधारा स्नान विधि की गई. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को 108 घड़ों के ठंडे पानी से स्नान स्नान कराया जाता है, जिसके बाद भगवान को बुखार आ जाता है. 15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ को एकांत में एक विशेष कक्ष में रखा जाता है. जहां केवल उनके वैद्य और निजी सेवक ही उनके दर्शन कर सकते हैं. भगवान जगन्नाथ के मंदिर के कपाट भी बंद रहेंगे. उसके बाद 15वें दिन मंदिर के कपाट खुलेंगे और भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देंगे. फिर जगन्नाथ रथ यात्रा का प्रारंभ होगा. रथ यात्रा के आरंभिक चरण में भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है, उसके बाद रथ यात्रा निकाली जाती है.
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लगता है काढ़ा का भोग
बता दें कि हर साल एक बार भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है, जिसे स्नान यात्रा भी कहते हैं. स्नान यात्रा करने के बाद 15 दिन के लिए भगवान जगन्नाथ ‘बीमार’ पड़ जाते हैं. 15 दिन के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है. यहां तक भगवान जगन्नाथ की रसोई भी बंद कर दी जाती है. भगवान को 56 भोग भी नहीं खिलाया जाता. 56 भोग की जगह भगवान को 15 दिनों तक काढ़ा का भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भी भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की बीमारी की जांच करने के लिए रोजाना वैद्य भी आते हैं. भगवान को काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है. साथ में शीतल लेप भी रोज लगाया जाता है.
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