NewDelhi : पशुओं के लिए काल साबित हो रहे लम्पी वायरस ने देश के 15 राज्यों के 175 जिलों में पैर पसार लिये हैं. आधिकारिक आंकड़ों पर नजर डालें तो देशभर में अब तक 15 लाख से ज्यादा गायें संक्रमण का शिकार हो चुकी हैं. 75 हजार गायों की मौत हो चुकी है. राजस्थान में सर्वाधिक बुरी हालत है.. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में अब तक 10.61 लाख गायें संक्रमित हो गयी हैं. हालांकि जमीनी हालत इससे कहीं भयानक बतायी जा रही हैं.
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की रिपोर्ट में दावा, भारतीय थल सेना, वायुसेना, नौसेना में हथियारों की कमी, मेक इन इंडिया इसकी वजह बीमारी पहले जुलाई 2019 में बांग्लादेश में सामने आयी
बताया जाता है कि यह बीमारी एशिया में सबसे पहले जुलाई 2019 में बांग्लादेश में सामने आयी. इसी साल भारत के पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भी केस मिलने शुरू हो गये. जानकारी के अनुसार इस साल यह बीमारी अंडमान-निकोबार समेत पश्चिमी और उत्तरी राज्यों में फैल गयी है.. लम्पी वायरस एक त्वचा रोग का कारण बनता है. यह कुछ मक्खी-मच्छरों या किल्लियों के जरिये फैलता है. इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठें हो जाती हैं.
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राजस्थान में गोवंश के मौतों का आंकड़ा बढता जा रहा है
माना जा रहा है कि राजस्थान में गोवंश के मौतों का आंकड़ा बढता जा रहा है. इससे गो-पालन पर निर्भर परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. यहां दूध की भी भारी होने लगी है. इस संबंध में केंद्र सरकार ने, जिन राज्यों में संक्रमण बढ़ रहा है, वहां वैक्सीनेशन तेज करने को कहा है.पशुपालन विभाग ने अगले 2 महीने में 40 लाख गायों के वैक्सीनेशन का टारगेट रखा है. खबर आ रही है कि सबसे अधिक संक्रमित जिलों जोधपुर और बाड़मेर में कई दिन से वैक्सीनेशन ही बंद है. जिन राज्यों में लम्पी का कहर ज्यादा है, वहां की सरकारों को बारिश थमने का इंतजार है. माना जा रहा है कि वायरस के अधिक सक्रिय होने का कारण बारिश है. बारिश रुकते ही वायरस फैलाने वाले मच्छर-मक्खी कम होंगे और लम्पी पर रोक लग जायेगी. फिलहाल गायों को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा रही है.
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से लौटते ही नीतीश ने लालू यादव से की मुलाकात, आधे घंटे तक हुई बातचीत,कहा- बीजेपी इतिहास को खत्म कर रही दूध की आपूर्ति घटते ही दुग्ध संघों ने दाम बढ़ाये
लम्पी संक्रमित होते ही गाय का दूध बहुत कम हो जाता है या बंद हो जाता है. जानकारी के अनुसार राजस्थान में सबसे ज्यादा प्रभावित 5 जिलों में दूध उत्पादन 30% कम हो गया है. गुजरात के यह 10% है. आपूर्ति घटने से कुछ डेयरी संघों ने दूध के दाम 2 से 4 रुपए बढ़ा दिये हैं. लम्पी की चपेट में भारतीय नस्लें ज्यादा आ रही हैं. राजस्थान वेटरनरी यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी डॉ. एके गहलोत के अनुसार, अच्छे रखरखाव के बावजूद राठी, थारपारकर, कांकरेज, गिर और साहिवाल नस्लें संक्रमित हो रही हैं. ये पांचों नस्ल अधिक दूध देती हैं.
शीतला माता के दर पर पशुपालक
लम्पी में गायों में चेचक की तरह दाने हो रहे हैं. लगातार मौतों से पशुपाल चिंतित हैं. ऐसे में वे इसे चेचक यानी बड़ी माता मानकर अब चाकसू में शीतला माता के दर पर धोक लगाने पहुंच रहे हैं. गुरुवार को भी यहां 100 से अधिक पदयात्राएं पहुंचीं. इनमें दस हजार से ज्यादा लोग शामिल थे. शीतला माता को ठंडे पकवान का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की और गोवंश को इस प्राकृतिक आपदा से बचाने की मन्नतें मांगीं. माताजी का सपडावा (चरणामृत) पशुपालक संक्रमित गायों के शरीर पर लगा रहे हैं.
लम्पी को महामारी घोषित करने की मांग
लम्पी का कहर कोरोना की तरह ही भयावह है. लम्पी से पशु प्रभावित हैं, जो अपना दर्द किसी को कह नहीं सकते. बीमारी 2019 से चल रही है, लेकिन दो साल तक इसके कम मामले सामने आये. इस साल मई-जून में संक्रमण कोरोना की तरह फैल रहा है. मांग की जा रही है कि केंद्र तत्काल कदम उठाते हुए इसे महामारी घोषित करे. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बचाव की कमान संभाले मांग की गयी है कि जिन किसानों के पशु मरे हैं, उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए. उनका तर्क है कि उद्योगपतियों को पैकेज मिल सकता है तो लम्पी प्रभावित किसानों को क्यों नहीं? [wpse_comments_template]