Ranchi: झारखंड में बड़ी संख्या में कैंसर के मरीज पहुंच रहे हैं। लंग्स कैंसर दूसरी सबसे बड़ी कैंसर की समस्या है। राज्य में हर महीने दो सौ के करीब नए लंग्स कैंसर के मरीज पहुंचते हैं। रिम्स में एक महीने में 30 के करीब नए मामले आते हैं। वहीं अधिकतर लोग दूसरे राज्य में जाकर इलाज कराते हैं। मेडिकल आंकोलॉजिस्ट डॉ गुंजेश ने बताया कि लंग्स कैंसर के पहले तीन स्टेज में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। वहीं लो डोज इम्यूनोथेरेपी आने के बाद स्टेज फोर के मरीजों की भी उम्र चार साल तक बढ़ जाती है। पहले स्टेज फोर में सिर्फ नौ महीने ही लोग जी पाते थे। डॉ गुंजेश ने बताया कि लो डोज इम्यूनोथेरेपी आ जाने से खर्च तीन लाख महीने के बजाय चालीस हजार रुपए में ही हो जा रहा है। वहीं टारगेटेट थेरेपी एक लाख तक में आता था यह अब दस हजार रूपए में भी आ जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में कैंसर का इलाज बहुत सस्ता हो गया है। लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। रांची में भी अब इलाज संभव है। कई योजनाओं के तहत भी मरीजों को इलाज मिल जाता है। आयुष्मान योजना के तहत दो तरह की टारगेटेट थेरेपी कवर हो जाती है। वहीं मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत लो डोज इम्यूनोथेरेपी की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं अधिकतर मामले
डॉ गुंजेश ने बताया कि लंग्स कैंसर का कोई लक्षण शुरुआती दौर में नहीं दिखता है। अधिकतर मामलों में कैंसर के मरीज एडवांस स्टेज में पाए जाते हैं। लंग्स कैंसर के अलग अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण होते हैं। कुछ लोगों में फेफड़ों से संबंधित लक्षण होते हैं। धूम्रपान लंग्स कैंसर के मुख्य कारणों में से एक है। हालांकि ऐसे लोगों में भी लंग्स कैंसर नजर आ रहा है, जो धूम्रपान नहीं करते हैं। आजकल गलत खान-पान और जीवन शैली के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई समस्याएं तो ऐसी होती हैं, जो किसी ना किसी बड़ी बीमारी का कारण बन जाती है। फेफड़ों का कैंसर आमतौर पर ब्रोंकी और फेफड़ों के कुछ हिस्सों जैसे ब्रॉंकिओल्स या एल्वियोली की कोशिकाओं में शुरू होता हैं। शरीर के दूसरे अंगों से भी कैंसर, फेफड़ों में फैल सकता है। जब कैंसर कोशिकाएं शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में फैलती हैं, तो उन्हें मेटास्टेसिस कहा जाता है।
लंग्स कैंसर के प्रमुख लक्षण
-खांसी जो गंभीर रूप ले चुकी हो या दूर नहीं हो रही हो
-छाती में दर्द होना
-सांस लेने मे दिक्कत होना
-खांसी मे खून आना
-हर समय थकान महसूस होना
-बिना किसी कारण वजन कम होना
-निमोनिया के बार-बार होने वाले दौरे
-फेफड़ों के बीच में छाती के अंदर सूजन या बढ़े हुए लिम्फ नोड्स (ग्रंथियां)