LagatarDesk : चैत्र नवरात्र का आज सातवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. देवी के नौ रूप में से माता काली का रूप सबसे रौद्र है. मां का काले स्वरूप के कारण ही इनका नाम कालरात्रि पड़ा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि आसुरिक शक्तियों का विनाश करती हैं. इनका स्वरूप तेज और यश से परिपूर्ण होता है. लेकिन उनका दिल पुष्प के समान कोमल है.
माता कालरात्रि की पूजा करने से शनि होता है शांत
मां कालरात्रि के तीन नेत्र और चार हाथ हैं. मां का ऊपर वाला दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. वहीं बाई ओर का एक हाथ में लोहे का कांटा और एक में खड़ग है. माता का वाहन गधा है. ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा सच्चे मन से करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. मां की आराधना से शनिदेव भी शांत होते हैं. देवी कालरात्रि अज्ञानता का नाश कर अधंकार में रोशनी लाती है. कालरात्रि दुष्टों का भी विनाश करती है.
कालरात्रि के उपासकों की नहीं होती अकाल मृत्यु
कालरात्रि होने के कारण मां अपने उपासकों को काल से भी बचाती हैं. यानी उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. इन्हें सभी सिद्धियों की भी देवी कहा जाता है. इसलिए इस दिन सभी तंत्र मंत्र के उपासक इनकी विशेष रूप से पूजा करते हैं. इनके नाम के उच्चारण मात्र से ही दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि भाग जाते हैं. पुराणों में मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा गया है.
नीले वस्त्र पहनकर करें मां की अराधना
मां कालरात्रि की पूजा में नियम और अनुशासन का विशेष पालन करना चाहिए. मां कालरात्रि की पूजा भी उसी प्रकार से होती है जिस प्रकार से अन्य देवियों की पूजा की जाती है. इस दिन भक्त को नीले वस्त्र पहनकर देवी की पूजा करनी चाहिए. माता को गुड़ बहुत पंसद है. इसलिए कहा जाता है कि भगवती को गुड़ का भोग लगाना चाहिए. या फिर आप गुड़ से बनी मिठाई का भोग भी लगा सकते हैं. माता को नींबू से बना हुआ माला पहनाना चाहिए. मां कालरात्रि को रातरानी का फूल बेहद पसंद है. इसलिए मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए रातरानी का फूल जरूर चढ़ायें.
रक्तबीज का संहार करने के लिए दुर्गा ने लिया था कालरात्रि का रूप
मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है. कृष्ण वर्ण के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए दुर्गा मां ने मां कालरात्रि का रूप लिया था. मां कालरात्रि के नाक से निकलने वाली आग की लपटें सबको राख कर देती हैं. गधे को मां कालरात्रि का सवारी कहा गया है. मां कालरात्रि के मंत्र इतने शक्तिशाली हैं कि जो भी भक्त उनके मंत्रों का जाप करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय
कालरात्रि मंत्र
- ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।
त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।। - ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।
- ‘एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता. लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी, वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी’
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:हद प्रिय है. अगर आप मां कालरात्रि को प्रसन्न करना चाहते हैं तो रातरानी का फूल जरूर चढ़ायें.
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