में कोल्ड स्टोरेज निर्माण का ग्रामीणों ने किया विरोध, विधायक से मिले
योजना बनाते समय कॉमन सेंस भी नहीं किया अप्लाई
सवाल ये उठता है कि योजना लागू करने वाली सरकार और योजना बनाने वाले अफसरों में क्या कॉमन सेंस नहीं था. जो गरीब परिवार दो जून की रोटी बमुश्किल जुगाड़ कर पाते हैं और जो मध्यम वर्गीय परिवार महंगाई के बोझ तले दबा हुआ है वह महंगी होती जमीन को आखिर क्यों और कैसे खरीदेगा. एक मध्यमवर्गीय परिवार लोन या कर्ज लेकर बहुत ज्यादा तो 8-10 लाख रुपये की जमीन खरीद सकता है. अगर सरकार ने गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के हित में योजना लाई थी, तो फिर इसकी सीमा 50 लाख रुपये रखने की क्या जरूरत थी. इसे भी पढ़ें -सुनील">https://lagatar.in/sunil-tiwari-gets-conditional-bail-jharkhand-will-not-have-to-come-for-6-months-will-not-change-mobile-hc/">सुनीलतिवारी को मिली सशर्त बेल, 6 महीने तक नहीं आना होगा झारखण्ड, नहीं बदलेंगे मोबाइल- HC
जो 50 लाख की जमीन खरीदेंगे क्या वो 3.5 लाख रजिस्ट्री फी नहीं दे पाएंगे
जिन 193696 जमीन की रजिस्ट्री 1 रुपये में हुई है उसमें से 90 फीसदी से ज्यादा 40 से 50 लाख रुपये तक वाली जमीन है. जाहिर है यह जमीन गरीबों की नहीं है. सवाल ये उठता है कि जो महिला 40-50 लाख रुपये की जमीन खरीद रही है क्या वो जमीन की कीमत का 7 प्रतिशत रजिस्ट्री के लिए भी देने में सक्षम नहीं थी. मान लीजिए किसी महिला ने 50 लाख की जमीन खरीदी है तो उसे 3 लाख 50 हजार रुपये की जगह सिर्फ 1 रुपये सरकार को देना पड़ा. इसी तरह किसी ने अगर 40 लाख की जमीन खरीदी तो उसे 2 लाख 80 हजार की जगह सिर्फ 1 रुपये रजिस्ट्री फी देना पड़ा. 30 लाख की जमीन खरीदने वाले को 2 लाख 10 हजार रुपये की जगह सिर्फ 1 रुपये देना पड़ा. इसे भी पढ़ें -RMC">https://lagatar.in/rmc-no-improvement-in-cleanliness-even-after-spending-700-crores/">RMC: 700 करोड़ खर्च करने के बाद भी सफाई में सुधार नहीं, अब एजेंसी CDC, ZONTA पर भी उठे सवाल
2019-20 में राजस्व को सबसे ज्यादा लगा चूना
आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2017-18 में 53616 जमीनों की रजिस्ट्री हुई. इससे सरकार को वित्तीय वर्ष में 318 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई. इसके बाद वित्तीय वर्ष 2018-19 में 77034 जमीनों की रजिस्ट्री हुई, जिससे 468 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ. 2019-20 में 63046 जमीनों की रजिस्ट्री हुई. इससे सरकार को 510 करोड़ रुपये के राजस्व का चूना लगा. तीन सालों में अमीरों को फायदा देकर सरकारी खजाने को 1296 करोड़ का नुकसान करा दिया गया. इसे भी पढ़ें -RBI">https://lagatar.in/rbi-hikes-transaction-limit-customers-will-be-able-to-transfer-rs-5-lakh-in-a-day-instead-of-rs-2-lakh/">RBIने ट्रांजेक्शन की लिमिट बढ़ाई, ग्राहक अब एक दिन में 2 लाख के बजाय 5 लाख कर सकेंगे ट्रांसफर [wpse_comments_template]
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