- मधुपुर में विशेष प्रभाव रखते हैं पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह, भूमिहार वोटरों के आने से जेएमएम को होगा बड़ा फायदा
- 2019 में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेवीएम) के टिकट पर लड़े थे चुनाव
- नहीं होगा अल्पसंख्यक वोटरों का बंटवारा, रणनीति के तहत चुनावी मैदान में हैं केवल एक अल्पसंख्यक प्रत्याशी
Ranchi: मधुपुर उपचुनाव में मतदान होने को एक सप्ताह से भी कम समय बचा है. ऐसे में जेएमएम व बीजेपी के तमाम बड़े नेता जोर-शोर से चुनावी प्रचार में लगे है. हर कोई वोटरों को लुभावने में लगा है. इस काम में बीजेपी की तुलना में जेएमएम की रणनीति काफी कारगार दिख रही है. जनता के बीच जाकर सरकार के तमाम बड़े कामों को बताने के साथ अल्पसंख्यक वोटरों को न बांटने की रणनीति में जेएमएम पहले ही सफल रहा है. वहीं अब एक रणनीति के तहत जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की शनिवार देर शाम भूमिहार नेता सह पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह से मुलाकात हुई है. बताया जा रहा है कि चुन्ना सिंह ने जेएमएम को समर्थन देने का वादा किया है.
ऐसे में यह रणनीति बीजेपी के लिए काफी घातक साबित हो सकता है. बता दें कि 2019 के चुनाव में जेवीएम के टिकट पर सारठ से चुनाव लड़े चुन्ना सिंह का मधुपुर में विशेष प्रभाव है. मधुपुर में भूमिहार वोटरों की संख्या करीब 35000 के करीब मानी जाती हैं. ऐसे में चुन्ना सिंह का हेमंत सोरेन से मुलाकात जेएमएम को काफी फायदा पहुंचाने वाला माना जा रहा है.
जेवीएम की टिकट पर लड़े थे चुनाव, बाबूलाल व बीजेपी को लग सकता है बड़ा झटका
मधुपुर व सारठ विधानसभा सीट पर जमीन पकड़ रखने वाले चुन्ना सिंह बीजेपी नेता (पूर्व जेवीएम अध्यक्ष) बाबूलाल मरांडी के काफी करीबी माने जाते थे. 2019 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले चुन्ना सिंह ने जेवीएम का दामन थामा था. उसके बाद उन्होंने सारठ सीट से भाग्य भी अजमाया, हालांकि उनकी हार हुई. इसके बावजूद जनता के बीच उनका मजबूत पकड़ बना रहा. ऐसे में हेमंत सोरेन से चुन्ना सिंह की मुलाकात के बाद जहां यह अटकलें तेज हो गयी है कि मधुपुर सीट पर इस बार अल्पसंख्यक वोटरों के साथ भूमिहार वोटरों का भी अधिक से अधिक फायदा जेएमएम को मिलेगा. वहीं इस मुलाकात के बाद बीजेपी व बाबूलाल मरांडी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
पहले ही अल्पसंख्यकों पर जेएमएम ने बना रखी है मजबूत पकड़, अब भूमिहार वोटरों के फायदा मिलने का लगा कयास का ज्यादा समर्थन जेएमएम कबता दें कि चुनावी रणनीति के तहत इस बार मधुपुर में अल्पसंख्यक वोटरों का भी बिखराव कम होने की उम्मीद जतायी जा रही है. दरअसल 2019 के चुनाव में मधुपुर सीट पर दिवंगत नेता हाजी हुसैन अंसारी के साथ तीन अल्पसंख्यक प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में थे. इसमें एआईएमआईएम के मोहम्मद इकबाल, एचएएमएस के सहूद मियां और जेवीएम के सहीम खान थे. तीनों अल्पसंख्यक प्रत्याशियों ने करीब 15698 वोटों लाकर कथित तौर पर मुस्लिम वोटों को बांट दिया था. इसमें मो. इकबाल को 9,866, सहीम खान को 4,222 और सहूद मियां को 1,614 वोट मिले थे.
हालांकि मुस्लिम वोटों के बंटने के बाद भी जेएमएम प्रत्याशी दिवंगत नेता हाजी हुसैन चुनाव जीते थे. इस कारण यह था कि एनडीए के दो घटक दल आजसू व बीजेपी दोनों ने प्रत्याशी उतारे थे. इससे एनडीए कमजोर हुआ था. लेकिन इस बार केवल अल्पसंख्यक प्रत्याशी (जेएमएम) के होने से सीधा फायदा जेएमएम को मिलने की कयास तो पहले से ही लगायी गयी थी. वहीं अब चुन्ना सिंह के मुलाकात के बाद भूमिहार वोटरों का भी सीधा फायदा जेएमएम को मिल सकता है.