और L&T स्पेस लॉन्च व्हीकल्स का कॉन्ट्रैक्ट पाने की रेस में, निजी कंपनियों के दरवाजे खुले
डीएमके ने एक याचिका दायर की थी
केंद्र सरकार के इस निर्णय को चुनौती देते हुए डीएमके ने एक याचिका दायर की थी और ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग की थी, क्योंकि सभी सीटें सरकारी कॉलेजों की हैं. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. इसे भी पढ़ें : ">https://lagatar.in/cji-said-some-police-officers-work-in-favor-of-the-government-if-the-government-is-changed-then-there-is-a-case-of-sedition/142781/">CJI ने कहा, कुछ पुलिस अधिकारी सरकार के हक में काम करते हैं, सरकार बदली, तो राजद्रोह का केस हो जाता है, यह दुखद स्थिति है
हाई कोर्ट ने कहा आरक्षण का पूरा कॉन्सेप्ट ही गलत
न्यायाधीशों ने एआईक्यू के तहत एमबीबीएस प्रवेश में अगड़ी जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 पर्सेंट कोटा को अस्वीकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि इस 10 पर्सेंट आरक्षण के चलते कोटे की 50 फीसदी की सीमा खत्म हो जायेगी और यह गलत होगा. अदालत ने यहां तक कहा कि आरक्षण का पूरा कॉन्सेप्ट ही गलत है.राज्य सरकार 50 प्रतिशत से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी
डीएमके ने अपनी याचिका में कहा था कि तमिलनाडु में अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स के लिए अखिल भारतीय कोटे के तहत सरेंडर की गयी सीट के खिलाफ छात्रों के प्रवेश के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गयी 27 प्रतिशत सीटें स्वीकार करने योग्य नहीं हैं. डीएमके के वकील पी विल्सन ने 3 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी औदिकेसवालु की बेंच को जानकारी दी कि राज्य सरकार 69 प्रतिशत नहीं, तो 50 प्रतिशत से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने कहा था कि 50 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी के लिए, 18 प्रतिशत एससी के लिए और 1 प्रतिशत एसटी के लिए होना चाहिए. इसे भी पढ़ें : छत्तीसगढ़">https://lagatar.in/chhattisgarh-crisis-mlas-close-to-cm-camped-in-delhi-but-congress-president-said-high-command-did-not-call/142756/">छत्तीसगढ़संकट : सीएम के करीबी विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाला, पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, आलाकमान ने नहीं बुलाया [wpse_comments_template]
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