Ranchi : शिक्षा, स्वरोजगार सृजन, स्वास्थ्य और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशियेटिव (माही) ने अपराध की घटना में धार्मिक एंगल खोजने के प्रयास पर चिंता व्यक्त की है. गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में संगठन के संयोजक इबरार अहमद ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ सभी अपराध निंदनीय हैं. आरोपियों को उचित सजा मिलनी चाहिए, लेकिन अपराधियों को किसी भी धर्म से जोड़ना और इस तरह समाज में दरार पैदा करना गलत है.
खामोशी भी एक अपराध है
अहमद ने कहा कि जो लोग महिलाओं के खिलाफ अपराध करते हैं, वे अपराधी हैं और वे किसी भी धर्म से जुड़े हो सकते हैं. डेटा साझा करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2021 में देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,28,278 मामले दर्ज किए गए थे. और यह देखा गया है कि 43.3 प्रतिशत मामलों में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार करने वाले करीबी रिश्तेदार हैं. जाति, पंथ और धर्म से परे महिलाओं महिलाओं के खिलाफ अपराध को धार्मिक रंग देने का कोई भी प्रयास गलत है. मानवीय आधार मामले को उठाना था, दोषियों को सजा दिलाने के लिए सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय हत्यारे के धर्म का खूब प्रचार किया गया. वहीं दो दिन पूर्व ही दुमका में एक नाबालिग आदिवासी बच्ची की निर्मम हत्या कर दी गई. उक्त बच्ची का गैंग रेप भी हुआ. लड़की की हत्या कर पेड़ से लटका दिया गया. स्वजातीय होने पर क्या अपराध की गंभीरता समाप्त हो जाती है? इसका स्वरूप बदल जाता है? खामोशी भी एक अपराध है.
जागरूकता अभियान चलायेगी माही
इबरार अहमद ने कहा कि मौलाना आजाद ह्यूमेन इनिशियेटिव पूरे राज्य में न केवल जघन्य अपराधों के खिलाफ बल्कि अपराधों में धार्मिक एंगल तलाशने वालों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलायेगी. अंकिता मामले को जिस तरह उठाया गया, एक खास समुदाय को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई, हम आहत हुए हैं. ऐसे मामलों पर पूरे समाज को एकसाथ खड़े होने की जरूरत है.
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