NewDelhi : अखिल भारतीय महिला कांग्रेस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को शर्मनाक करार दिया है, जिसमें हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को बेल देते हुए कहा कि बलात्कार का जितना दोषी आरोपी है, उतनी ही दोषी पीड़िता भी है. पीड़िता ने खुद इस समस्या को आमंत्रित किया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का शर्मनाक फैसला आया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को बेल देते हुए कहा- बलात्कार का जितना दोषी आरोपी है, उतनी ही दोषी पीड़िता भी है। पीड़िता ने खुद इस समस्या को आमंत्रित किया है।
इसके पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा था- महिला की… pic.twitter.com/vfZGNFfpcw
— Congress (@INCIndia) April 11, 2025
महिला कांग्रेस अध्यक्ष अल्का लांबा ने कहा कि इसके पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा था कि महिला की छाती पर हाथ मारना, उसके पजामे का नाड़ा खोलना या कपड़े फाड़ना बलात्कार की कोशिश में नहीं आता है और न ही ये बलात्कार है. अल्का लांबा ने कहा, ये दोनों फैसले बेहद शर्मनाक हैं.
ऐसे में अपराधियों की हिम्मत बढ़ेगी और बलात्कारी हमारी बहनों-बेटियों को नोंचते रहेंगे. कहा कि ऐसे फैसलों के खिलाफ हमें और बड़ी अदालतों में जाना होगा. इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस इन फैसलों को हल्के में नहीं लेगी,
न्याय मिलने तक पूरे देश में इसके खिलाफ सड़कों पर उतरना होगा, शीर्ष अदालतों में जाना होगा. अपराधियों को सजा दिलाने के लिए हम मजबूती से लड़ेंगे.
मामला यह है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अभी हाल ही में पीजी की एक छात्रा से बलात्कार करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए पीड़िता को ही उस घटना के लिए जिम्मेदार बताया था. कहा था कि उसी ने मुसीबत को न्योता दिया था.
आरोपी को बेल देने वाले जज जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा कि पीड़िता ने शराब के नशे में धुत्त होकर आरोपी के घर जाने की सहमति देकर खुद ही मुसीबत को बुलाया था.
पिछले माह दिये गये अपने फैसले में जस्टिस सिंह ने कहा था कि महिला एमए की छात्रा है. इसलिए वह अपने हरकत की नैतिकता और महत्व को समझने में सक्षम थी. इसलिए हम कह सकते हैं कि उसने खुद मुसीबत को न्योता दिया था, गुरुवार को जब यह खबर सामने आयी तो जस्टिस संजय कुमार सिंह के फैसले की हर तरफ आलोचना शुरू हो गयी.
जान लें कि यह पहला मामला नहीं है, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के किसी फैसले पर विवाद हुआ हो. याद करें कि 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि महिला के सीने को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी खींचना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जायेगा, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को असंवेदनशील कहा था.
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