- एक्सपोर्ट 2013-14 से भी नीचे और इंपोर्ट 100 अरब के भी पार
Girish Malviya
आज भारत की अर्थव्यवस्था एक तरह से चीन पर आश्रित हो गई है. चीन अब लगभग हर औद्योगिक श्रेणी में भारत के आयात पर हावी है और ये पिछले 10-11 सालों में हुआ है. मोदी जी के राज में भारत-चीन व्यापार संतुलन पूरी तरह से चीन के पक्ष में झुक गया है, क्योंकि भारत से चीन का निर्यात घट गया है. जबकि भारत का चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है. इससे दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है. आयात और निर्यात का अंतर व्यापार घाटा कहलाता है और भारत का यह घाटा दुनिया के दो देशों के बीच सबसे बड़े व्यापार घाटा में से एक है.
बीते साल 2024-25 में भारत ने चीन से 113.45 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट किया और वहां 14.25 बिलियन डॉलर का ही माल भेजा. इसका अर्थ है कि इस सौदे में भारत 99.2 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठा रहा है. यह अब तक का सर्वाधिक स्तर ही नहीं, बल्कि बेहद खतरनाक स्तर है और ये पिछले साल का आंकड़ा है, इस बार अभी से यह 100 अरब के पार हो चुका है. केंद्र सरकार को इस ओर विशेष ध्यान इसलिए भी देना चाहिए, क्योंकि जब से केंद्र में भाजपा सत्ता में नहीं थी, यानी 2013-14 में हमने 14.82 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट चीन को किया था और आज 2024-25 में हम उससे भी कम यानी महज 14.25 बिलियन डॉलर का सामान एक्सपोर्ट कर रहे हैं.
कहा है आपका मेक इन इंडिया?
वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ की पहल की थी, तब उसका उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र के अंशदान को अर्थव्यवस्था में बढ़ाना था. लक्ष्य तय किया गया था कि अगले 10 साल में विनिर्माण क्षेत्र का अंशदान अर्थव्यवस्था में 25 फीसदी के आसपास रहे. आज भी यह अंशदान तकरीबन 15-16 फीसदी से आगे नहीं बढ़ पाया है.
मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा करी!
आपको याद होगा 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत में चीन के सामान का बहिष्कार की हवा बह रही थी. लेकिन आप सच्चाई नहीं जानते हैं! साल 2021-22 से ही चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है. साल 2020-21 में चीन से 65.21 बिलियन डॉलर का सामान आया था. इसके एक साल बाद यानी 2021-22 में वहां से 94.57 बिलियन डॉलर इंपोर्ट हुआ. यह 45 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी है. इसके एक साल बाद, 2022-23 में 98.50 बिलियन डॉलर का चीन से इंपोर्ट हुआ, जो कि एक साल पहले के मुकाबले 4.16 फीसदी अधिक है.
साल 2023-24 में वहां से 101.73 लाख करोड़ रुपये का सामान आया. मतलब इस साल भी 3.28 फीसदी की बढ़ोतरी. पिछले साल यानी 2024-25 में तो चीन से रिकार्ड 113.45 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट हुआ, जो कि एक साल पहले के मुकाबले 11.52 फीसदी अधिक है. पिछले वित्तीय वर्ष में चीन का व्यापार घाटा भारत के कुल व्यापार असंतुलन (283 अरब डॉलर) का लगभग 35% था. इसे ही अब शायद लाल-लाल आंख दिखाना कहते हैं.
डिस्क्लेमर : इस लेख को लेखक के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है...ये इनके निजी विचार हैं...
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