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गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के इलाज की विशेष व्यवस्था रखें, अलर्ट मोड में रहे स्वास्थ्य विभागः CM

खास बातें जीबीएस से घबराने की जरूरत नहीं, बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी बीमारी से संबंधित कोई भी केस मिलने पर तत्काल रिम्स रेफर करें संदिग्ध मरीजों को रिम्स तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अलर्ट रखें Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के संक्रमण की रोकथाम एवं चिन्हित मरीजों के इलाज की व्यवस्थाओं को लेकर की जा रही तैयारियों की समीक्षा की. बैठक में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री डॉ इरफान अंसारी ऑनलाइन जुड़े थे. स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी के दुष्प्रभाव, लक्षण एवं बचाव से संबंधित जानकारी से अवगत कराया. इसे भी पढ़ें - वाराणसी">https://lagatar.in/crowd-increasing-at-varanasi-ghats-ganga-aarti-closed-for-general-public-till-february-5-police-commissioner/">वाराणसी

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आम जनमानस को जीबीएस से बचाव के लिए जागरूक करें

सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से ग्रस्त मरीजों की पहचान करने एवं अस्पतालों में उनके समुचित इलाज की विशेष व्यवस्था रखें. अधिकारियों को जीबीएस के संक्रमण से बचने के लिए राज्य में व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के लिए आम जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता है. यह बीमारी दूषित जल और कच्चा भोजन सेवन करने से फैलता है. लोगों में इस बीमारी को लेकर कोई भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो यह सुनिश्चित किए जाएं. यह बीमारी कोरोना संक्रमण की तरह एक-दूसरे से नही फैलता है, इस बीमारी को लेकर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है, लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाएं.

जागरूकता ही इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर माध्यम

जागरूकता ही इस बीमारी से बचने का सबसे बेहतर माध्यम है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिस राज्य, शहर या जगहों पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम बीमारी के मरीज ज्यादा पाए गए हैं, उन क्षेत्रों से झारखंड पहुंचने वाले व्यक्तियों की जांच की व्यवस्था करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर के किसी स्थान पर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जांच की एक निःशुल्क सेंटर स्थापित करें.

अस्पतालों में बेड, दवा सहित अन्य जरूरी व्यवस्था पुख्ता रखें

सीएम ने अधिकारियों से कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी से निपटने के लिए सभी अस्पतालों में बेड, दवा, मेडिकल ऑक्सीजन इत्यादि की पुख्ता व्यवस्था रखें. इस बीमारी से संबंधित कोई भी केस मिलने पर तत्काल रिम्स रेफर करें. संदिग्ध मरीजों को रिम्स तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम को अलर्ट रखें ताकि समय से मरीज को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके. सभी जिलों के सिविल सर्जनों को निर्देश दिया कि इस बीमारी से संबंधित न्यूज, एक्टिविटीज एवं अपडेट पर पैनी नजर रखें ताकि बीमारी के खतरे की तैयारी समय रहते की जा सके. बीमारी के इलाज में किसी को कई दिक्कत न हो यह भी सुनिश्चित करें.

जिलों के सिविल सर्जनों ने इलाज की विस्तृत जानकारी दी

समीक्षा के क्रम में रिम्स निदेशक प्रो० (डॉ०) राजकुमार ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को वर्चुअल माध्यम से गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के मरीज की पहचान तथा उनके समुचित इलाज किस प्रकार की जाए इसकी विस्तृत जानकारी साझा की. इस बीमारी से बचाव की गाईडलाइन शीघ्र सभी सिविल सर्जन सहित संबंधित तक उपलब्ध कराए जाने की बात कही. कहा कि इस बीमारी के गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए रिम्स पूरी तरह तैयार है, कोई भी संदिग्ध केस मिलने पर आप तुरंत मरीज को रिम्स रेफर करें.

रिम्स जेबीएस को लेकर हाई अलर्ट मोड में

रिम्स जेबीएस को लेकर हाई अलर्ट मोड में है. रिम्स निदेशक ने कहा कि अपने-अपने क्षेत्र में सभी लोग इस बीमारी से बचाव के लिए आमजनों को अधिक से अधिक जागरूक करें इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय कुमार सिंह, निदेशक रिम्स प्रो० (डॉ०) राज कुमार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक अबू इमरान एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलों के उपायुक्त तथा सिविल सर्जन उपस्थित रहे. इसे भी पढ़ें -वित्त">https://lagatar.in/finance-minister-radhakrishna-kishore-demanded-dues-from-the-centre-said-no-expectations-from-the-centres-budget/">वित्त

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