Lagatar Desk
राजस्थान सरकार ने निजी स्कूलों की फीस 30 प्रतिशत कम करने का आदेश दिया था.
स्कूल संचालक इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गये.
सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को अपने फैसले में कहा है कि कोविड के दौरान स्कूल बंद पड़े हैं. ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं. ऐसे मेंअभिभावकों को फीस में राहत मिलनी जाहिए. स्कूलों को कैंपस में दी जाने वाली कई सुविधाओं का खर्च नहीं उठाना पड़ रहा है. इसलिए संचालन का खर्च कम हो गया है. इसलिए स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस की फीस जरूर घटानी चाहिए.
क्या झारखंड में भी स्कूलों को फीस कम करने के लिये हेमंत सरकार को आदेश जारी नहीं करनी चाहिये ?
आज इन्हीं दो सवालों का जवाब देकर अपनी आवाज खुद बुलंद करें….
आखिर हेमंत सरकार को किस बात का इंतजार है ?
आप नहीं बोलेंगे तो सरकार को क्या मतलब ! इसलिये आप बोलें, तभी सुनेगी सरकार …
अपनी राय लिखने के लिये नीचे कमेंट बॉक्स में टाईप करें….
कोरोना वैसिक महामारी में राज्य सरकार को सभी निजि स्कुलो मे पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिए फीस माफ का घोषणा करना चाहिए क्योंकि इस कोरोना महामारी में लोगों को आर्थिक स्थिति में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है
फीस भी कम करनी चाहिए,गरीबों के बच्चों की पढ़ाई कैसे हो रही है? इसका ििनतजाम भी करना चाहिए।वेंडर भुखमरी झेल रहे हैं ,किसानों की शब्जियाँ खेतों में सड़ रही है,कोरोना से ज्यादा भूख से मौते और आत्महत्या शुरू हो रही है।
मौजूदा हालात को देखते हुवे हेमंत सरकार को स्कूल फीस कम ही नही बल्कि फीस माफ करने का आदेश जल्द से जल्द जारी करना चाहिए ताकि इन परिस्थितियों में अभिभावकों को राहत मिल सके ।
School fees kam hone chahie
Yes jharkhand government should also give directions in this regard as the school has already taken the annual charges, without running school even a day physicaly, School fee too have been increased, in the other word we can say that the student has not attended a single day in previous year and the is not as such that this year to class will be conducted physically. The school are charging computer fee that too for what if students have to buy smart phone and recharge them regularly for attending classes but the has closed his eyes to these facts.
The only relief what we have is that we are not being charged bus fee, otherwise no relief at all to the parents.
सरकार को जितना जल्द से जल्द फीस माफी की ओर कदम उठा कर आदेश जारी करना चाहिए । बच्चो के अभिभावक इन दिनों कई तरह की परेशानियों से घिरे हुवे है । हेमंत सरकार को फीस माफ के लिए जल्द ही आदेश जारी करना चाहिए ।
School Fees kam honi hi chahiye, aam Aadmi k liye rozmarra ki chijon ko manage karna Bahut muskil ho raha hai, medical facilities k liye 80% logon ko muskilon ka saamna karna pad raha hai… lower class hi nahi balki middle class families ki bhi financial position kafi kharab ho gayi hai… jaan bach jaye abhi yeh hi bahut badi baat hai😒
Bilkul karna chahiye
School fees.. Specifically annual charges should not be taken by the schools bcoz parents are already paying extra for data recharges etc to ensure regular online classes of their wards
Jharkhand Government should instantly think over the situation and must resolve to waive the fees totally or partially.
Bilkul jald se jald aadesh jari Karni chahiye
private schools are running riot to collect school fees and Government is a mute spectator. Either most of the schools belong to politicians, or they are guilty of raising a monster who now wants to completely eat the class of parents.
बिलकुल फीस कम करनी चाहिए।
इस महामारी में बच्चों के माता-पिता के साथ साथ विद्यालय प्रबंधन भी प्रभावित हैं।दोनों को ध्यान में रखकर निर्णय लेने की जरूरत है।
गरीब बच्चों को ध्यान में रखकर फीस कम कर देना चाहिए
Bilkul sarkar ko school fees kam karne ka aadesh jari karna chahiye
इस corona में सभी parents का काम बंद हैं किसी के पास काम हैं भी तो उन लोगों को आधी सैलरी मिल रहीं हैं । जिस कारण वो लोग बहुत परशन हैं की वो स्कूल की fees दे या घर में खाने को लाए।
15% कम करने का आदेश सर्बोच न्यायालय ने दिया है यह सभी जगह लागू होना चाहिए
Private schools should charge only tuition fees and also minimise it… And also take care of the income of teachers..
कम करने का आदेश अब तक हो जाना चाहिए था
आप माननीय उच्चतम न्यायालय की गलत व्याख्या कर रहे हैं माननीय उच्चतम न्यायालय ने सीधा कहा है सरकार निजी विद्यालय के स्वतंत्रता तथापि निर्धारण पर किसी प्रकार का निर्देश नहीं दे सकती तथा राजस्थान सरकार के बनाए गए कानून को इंट्रा वायरस घोषित कर दी है, कोविड-19 के दौरान लिए गए निर्णय को इसे राजस्थान सरकार ने लिया था उसे गलत ठहरा दिया है तथा सिर्फ पिछले वर्ष के शुल्क पर 15% छूट की बात की है वह भी ऐसे चीजों पर जिसका उपयोग नहीं लिया गया यह आप लोग गलत व्याख्या कहां से करते हैं पहले तो इसका जवाब दें?
पिछले साल से ही स्कूल फीस को लेकर अभिभावक परेशान हैं। सरकार को एक निश्चित दिशा निर्देश देकर अभिभावकों को राहत देना चाहिए।
सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट दोनों स्कूलों की फीस माफ कर देना चाहिए, इसको तुरंत लागू कर देने चाहिए, झारखंड सरकार ऐसा कर नहीं पाएगी
जी हां
सभी प्राइवेट स्कूलों को फीस माफी करवानी चाहिए।
सरकार को सभी निजी स्कूलों और में जो मनमानी फी लिए जा रहे हैं उन्हें कम करना चाहिए या कुछ महीनों काफी माफ करना चाहिए।
Carmel High School is the government school of btps bokaro, but here we are paid fees per month solve this issue of school because it is government school. Sir
Hemant Soren. 🙏🙏🙏
Fee kam karni chahiye or mentanence charge development charge jaise fee bhi sarkar ko maf karwana chhiye
जहां इस वैश्विक महामारी सभी संस्थाएं बढ़-चढ़कर मदद कर रहे हैं। वही स्कूल प्रबंधक को भी चाहिए था कि इस कोरोना काल में बच्चों को कम से कम स्कूल फीस लेकर बच्चो को पढ़ाई करवाना चाहिए लेकिन जिस तरह स्कूल प्रबंधक अपनी फीस को लेकर कठोर है। यह कहीं से जायज नहीं है हेमंत सरकार को इस पर संज्ञान लेकर स्कूल फीस को माफ करने के लिए पहल करना चाहिए।
साथ ही देखा जाए तो सरकारी स्कूलों में जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनकी पढ़ाई का भी वैकल्पिक व्यवस्था करवाया जाना चाहिए।
स्कूल फीस जल्द से जल्द माफ करना चाहिए
सरकारी स्कूलों को अपना दायित्व निभा कर फीस अपने से कम करना चाहिए
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले आने से अभिभावकों में राहत की एक आस जगी है ,झारखंड सरकार इस आदेश अविलम्ब लागू करें अन्यथा आंदोलन होगा :अजय राय
सोमवार को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान के शैक्षणिक सत्र 20 21 स्कूल फीस मसले पर कोई सुनवाई के बाद स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को कई दिशा निर्देश दिए हैं जिसके तहत कोई भी स्कूल सत्र 2021 में स्कूल फीस में 15% कम फीस वसूल करें। कोर्ट ने कहा कि फीस का भुगतान नहीं होने पर किसी भी छात्र को वर्चुअल या भौतिक रूप से कक्षा में शामिल होने से रोका नहीं जाए। उनका परिणाम भी नहीं रोका जाए। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों या अभिभावकों द्वारा शुल्क का भुगतान छह बराबर किस्तों में किया जाएगा।
इस निर्णय का स्वागत करते हुए झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अजय राय ने कहा कि कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से देश के करोड़ों करोड़ अभिभावकों में एक आस जगी है कि अब उन्हें समुचित न्याय मिलेगा।
अजय राय ने झारखंड सरकार से मांग की है कि वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को देखते हुए झारखंड के सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए एक सर्कुलर जारी करें जिन स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास के नाम पर पूरी फीस के साथ साथ अन्य कई तरह का फीस अभिभावकों से वसूला है उसे वह वापस करें या ट्यूशन फीस में समायोजित करें।
अजय राय ने कहा कि कि ने कहा कि कि झारखंड के अंदर प्राइवेट स्कूलों के के द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा बिल्डिंग फंड ,डेवलपमेंट फंड ,एनुअल फीस, रीएडमिशन ,लैब चार्ज ,कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास मेंटेनेंस सीजर ना जाने की तरह के फीस वसूली गए जो ऐसे भी झारखंड सरकार के 25 जून 2020 के फैसले के विरूद्ध है।
अजय राय ने कहा कि कि ने कहा कि कि झारखंड सरकार इस पर अभिलंब कोई निर्णय नहीं लेती है तो झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन एसोसिएशन आंदोलन के साथ साथ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटेगी।
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हो रही शिक्षण के अनुपात में ही शुल्क का निर्धारण होना चाहिए।
अगर सभी निजी विद्यालयों का खाता बही की उचित जांच की जाय तो पाएंगे की वर्ष २०१९ में अर्जित शुद्ध लाभ से ही अंतिम वर्ष तथा वर्तमान वर्ष का शिक्षण शुल्क समायोजित किया जा सकता है।
डीएवी हेहल रांची ने तो अपने मासिक फीस में 30 प्रतिशत से अधिक फीस में बढ़ोतरी किया है, जो कि अत्यन्त ही निंदनीय कृत्य है
Yes
लॉकडाउन का दूसरा साल शुरु हो गया है, सबसे ज्यादा समस्या गरीबों के बच्चों को है। जो न ऑनलाइन पढ़ सकते हैं और नाही उनके पैरेंट्स फ़ी ही देने की स्थिति में हैं। ऐसे में सरकार को फ़ी माफी की कार्रवाई करनी चाहिए। उनकी पढ़ाई की मुक्कमल व्यवस्था करनी चाहिए। सवाल ये भी उठता है कि पिछली बार शिक्षा मंत्री ने न केवल घोषणा की थी बल्कि कड़ी चेतावनी भी जारी की थी लेकिन हुआ क्या स्कूलों ने विभिन्न मदों का अपना फ़ी बिना पढाये जबरन वसूल ही लिया था, वैसे आशा सरकार से इस बार भी नहीं है क्योंकि इस सरकार में दम नहीं दिखता है की अपनी बात स्कूलों से मनवा सके या फिर गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर कोई ठोस पहल कर सके। फिर भी जिन मुद्दों के कंधों पर पैर रख कर हेमन्त सोरेन की सरकार सत्ता में आई है उससे अपेक्षाएं लोगों की अपार है।
झारखंड के अंदर प्राइवेट स्कूलों के के द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा बिल्डिंग फंड ,डेवलपमेंट फंड ,एनुअल फीस, रीएडमिशन ,लैब चार्ज ,कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास मेंटेनेंस सीजर ना जाने की तरह के फीस वसूली गए जो ऐसे भी झारखंड सरकार के 25 जून 2020 के फैसले के विरूद्ध है।
Haa
इस समय वैश्विक महामारी मे लोग आर्थिक संकट से भी गुजर रहे हैं ऐसे समय मे मौजूदा सरकार चाहिए कि अपनी ओर से कम से कम 01 वर्ष का फीस भर दे ताकि स्कूल और जनता दोनों को तत्काल राहत मिल सके
Karni chahiye
अभी की स्थिति को देखे तो बच्चों के परिजन के साथ साथ स्कूल के प्रबंधक भी इस महामारी से परेशान है ।दोनों को ध्यान में रख कर ही कोइ भी निर्णय लेने की जरूरत है।
Jharkhand Sarkar ko school fees kam karne ka Aadesh Dena chahie
इस महामारी में लोगो को कई तरह की परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है इसलिए स्कूल के संचालक और बच्चो के अभिभावक दोनों को ध्यान में रख कर ही सरकार को कोई भी निर्णय लेना चाहिए।
शिक्षा के नाम पर व्यवसायिकरण हो रहा है इस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।कोरोना जैसे आपदा में अवसर तलाश कर मनमाने ढंग से फी लिया जा रहा है।इस खेल को बंद कर मान्यता हटा देना चाहिए तब सबक सिखेगा।
फीस माफी या कम करने के मामले में विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों को मिल कर एक निर्णय पर आना चाहिए। दोनों को एक दूसरे की समस्या को समझते हुए पारस्परिक सहयोग की भावना से इस मामले का समाधान निकलना ही सही होगा चुकि झारखंड राज्य में अधिकतर विद्यालय इस category के है जो विद्यालय को किसी प्रकार चला रहे है।एक अभिभावक के नज़रिए से सोचता हूँ तो लगता है कि सरकार को फीस माफ् करने का आदेश जारी कर देना चाहिए, पर जब एक private school के संचालक और उसके शिक्षक एवं कर्मचारियों के नज़रिए से सोचता हूँ तो लगता है कि इस महामारी के दौर में कम से कम इतना मिल जाय कि रोज़मर्रा की आवश्यकता के लिए भटकना नही पड़े।
अतः अच्छा तो यही है कि अभिभावक और विद्यालय के दूसरे को सहयोग की भावना से कोई ऐसा निर्णय ले जिसमे अभिभावकों को भी अतिरिक्त बोझ नही हो और विद्यालय के लोग भी इस संकट से उबर पाए।
निश्चित रूप से झारखंड सरकार को स्कूल फीस कम करने की दिशा में निर्णय लेने की जरूरत है ।30-40 ℅ तक स्कूल फी माफ की जानी चाहिए ।बाकी की फी से शिक्षक / कर्मचारी आदि सभी की वेतन का भुगतसन भी किया जा सकता है ।
हेमंत सरकार को भी झारखंड में पूर्ण लॉकडाउन कर देनी चाहिए या नही ।कोविद-19 के कारण स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से ठप हो गई है । आक्सिजन की कमी है ,दवा नही मिल रही है । डॉक्टर मरीज को देखना नही चाहते है …आदि आदि विभिन्न समस्याएं है और उसका जिम्मेवार केवल हम सरकार को ठहराते है ।लेकिन क्या ,इन समस्याओं के जड़ में सरकार के साथ-साथ हम भी जिम्मेवार नही है ?
माना कि अस्पताल में ऑक्सीजन ,दवा , डॉक्टर ,स्टाफ ,की कमी है लेकिन उन उपलब्ध साधनों का हम आम जनता भी तो दुरुपयोग कर रहे है । अस्पताल में मिलने वाली दवा, खाना, ऑक्सीजन जिनको मिल रही है उनके द्वारा किए जा रहे दुरुपयोग पर हम रोक लगा सके , हम समझदारी से काम ले ,तो
मुझे लगता है बहुत हद तक समस्याओं का समाधान हो सकता है । मैंने अस्पताल में कुछ समय गुजारा है और उसी के मद्दे नजर व्यवहारिक बातें कह रहा हूँ ।
आईए ,, हम आम जनता को जागरूक कर इस समस्या का समाधान करे ।
Total monthly school fees to be reduced to the extent of tuition fee only for first six months dues.
Yes, it’s very true that due to Corona and as a result this lockdown has put mankind in a problematic situation. Financially they are in such a poor state that they are not even capable of fulfilling their basic needs. So school fees has become a burden on the parents. Little bit relaxation can be given to the parents by the school authority. Teachers who are taking online classes should also get their livelihood. School authority has to consider both and reduce the fees. Thank you.
Moujuda haalaat ko dekhte huye school fees ko Kam kerna lazmi hai. Inshaan ki aarthik sthti socheniye hai. Rojmerre ki zarurut bhi pura kerne me wo saksham nahi, aise me school fees de pana bhi dubher ho gaya hai. Isiliye main Hemant Sarkar se gujarish karungi ki wo school fees kuchh Kam kerne ki maang rakkhe. Tatha Teachers ko bhi pay mile, iss per bhi dhyan de. Sachchayi to yehi hai ki school fees to le rahe hain per Teachers ko properly de nahi rahen. Ath abhivabak aur shikshak dono pareshaani me Hain. Dhanybaad.