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मंच ने उपायुक्त से की मांग- DMF फंड से शुरू हो प्राथमिक बच्चों के लिए व्यापक साक्षरता अभियान

Ranchi/Chaibasa  : राज्य में पिछले दो साल से विद्यालय बंद होने के कारण बच्चों  (खास कर ग्रामीण क्षेत्र के) की शैक्षणिक क्षमता चरमरा सी गयी है. इस दौरान ग्रामीण बच्चों तक ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच बहुत ही कम थी. ग्रामीण बच्चों को पिछले दो वर्ष में न के बराबर शिक्षा मिली है. प्राथमिक स्तर के बच्चे तो पढ़ना लगभग भूल गए हैं. बच्चे कुछ ही दिनों में लॉकडाउन के पहले की तुलना में तीन क्लास आगे की क्लास में पहुंचेंगे. सवाल यह है कि वे कैसे तीन साल उच्च क्लास की पढ़ाई को समझ पाएंगे. ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं जा सकता है कि अनेक बच्चे, खास कर ग्रामीण क्षेत्र में, ड्रॉपआउट हो जा सकते हैं. इसे भी पढ़ें -">https://lagatar.in/up-elections-amit-shah-said-will-win-more-than-300-seats-bjp-government-is-a-government-of-poor-backward-and-dalits/">

 यूपी चुनाव :  अमित शाह ने कहा, 300 से ज्यादा सीटें जीतेंगे, भाजपा सरकार गरीबों, पिछड़ों और दलितों की सरकार है शिक्षा के सवाल को लेकर मंगलवार को खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त व उप-विकास आयुक्त से मिलकर लॉकडाउन के कारण बच्चों की शैक्षणिक क्षमता पर पड़े भयावह असर की जानकारी दी. साथ ही मांग की कि ज़िला के प्राथमिक बच्चों के लिए व्यापक साक्षरता अभियान शुरू की जाए. इस अभियान के लिए जिला मिनरल फाउंडेशन (DMF) फंड का इस्तेमाल किया जाए. उपायुक्त ने मुद्दे की गंभीरता को समझा और उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया.

सरकारी स्कूल के बच्चों को फाउंडेशन कोर्स कराया जाये

वर्तमान परिस्थिति में राज्य में विशेष पहल की ज़रूरत है. मंच की ओर से मांग की गयी है कि ज़िला में एक व्यापक साक्षरता अभियान, खास कर प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए, शुरू की जाए. इस अभियान का उद्देश्य हो कि सभी बच्चों को फाउंडेशन कोर्स पढ़ाया जाए, ताकि ज़िला का एक भी बच्चा इस परिस्थिति में ड्रॉपआउट न हो और अगले वर्ष तक प्रत्येक बच्चे का अपने उम्र व क्लास अनुसार शैक्षणिक क्षमता विकसित हो सके. इस अभियान को कोल्हान का समाज, जन प्रतिनिधि, प्रशासन, सामाजिक संगठन, NGO आदि मिलकर आगे बढाएं.

हर दिन शाम को बच्चों को दो घंटे पढ़ाने की व्यवस्था की जाये

अभियान के तहत रोज़ शाम को (नियमित विद्यालय के बाद) बच्चों को उनके ही टोले में दो घंटे के लिए फाउंडेशन कोर्स की पढ़ाई की जाए. हर टोले से 10वी पास युवाओं को टोले स्तर पर ही बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी दी जाए. इनका चयन ग्राम सभा द्वारा किया जाए. चयनित युवाओं को सरल प्रशिक्षण दिया जाए. उनके सहयोग के लिए उन्हें प्रशंसा पत्र और 1000 रु प्रति माह की प्रोत्साहन राशि दी जाए. युवाओं के साथ-साथ हर स्तर के सभी प्रशासनिक पदाधिकारी व विभागीय कर्मियों को भी इससे जोड़ा जाए और सब को सप्ताह में कम-से-कम एक दिन (दो घंटे) पढ़ाने की ज़िम्मेवारी दी जाए.

अभियान के लिए ज़िला मिनरल फाउंडेशन  फंड का हो इस्तेमाल

विद्यालय प्रबंधन समिति, महिला संगठनों (समूह, ग्राम संगठन, फेडरेशन आदि), सामाजिक संगठनों व NGOs से भी इस अभियान में सहयोग मांगा जाए. उदहारण के लिए युवाओं के चयन, प्रशिक्षण आदि में. पारंपरिक प्रधानों से अभियान में निगरानी व जागरूकता संबंधित सहयोग मांगा जाए. अख़बार, प्रचार वाहन, दीवाल लेखन, फ्लेक्स, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. अभियान के लिए ज़िला मिनरल फाउंडेशन (DMF) फंड का इस्तेमाल किया जाए. मंच की ओर से उपायुक्त को मांग पत्र सौपा गया. प्रतिनिधिमंडल में अजित कान्डेयांग,  अशोक मुन्डरी,  हेलेन सुन्डी, मनीता देवगम, रंजीत किंडो, रमेश जेराई और सिराज दत्ता शामिल थे. इसे भी पढ़ें - AAP">https://lagatar.in/aap-mla-called-lalu-a-thief-ex-cms-daughter-got-angry-said-this-thing/">AAP

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