Imphal : मणिपुर में तीन मई को भड़की हिंसा की आग अभी तक बुझी नहीं है. आज बुधवार को पश्चिम इंफाल जिले में उग्र भीड़ ने एक एंबुलेंस को रास्ते में रोककर उसमें आग लगा दी. इस आगजनी में एंबुलेंस में सवार आठ वर्षीय बच्चे, उसकी मां और एक अन्य रिश्तेदार की मौत हो गयी. घटना के बाद उस इलाके के आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. (पढ़ें, CID ने महाराष्ट्र से बरामद लड़की को उसके परिजनों को सौंपने का दिया निर्देश)
असम राइफल्स के राहत शिविर में गोलीबारी में बच्चे को लगी थी गोली
कंग्चुप में असम राइफल्स के राहत शिविर चल रहा था. इसमें ये तीनों भी शामिल होने गये थे. तभी शाम के समय इलाके में गोलीबारी शुरू हो गयी. इस गोलीबारी में उस बच्चे के सिर में गोली लग गयी. मैतेई समुदाय की एक महिला जिसकी शादी कुकी समुदाय में हुई वह अपने 8 साल के बेटे को लेकर अस्पताल जा रही थी. इसी बीच भीड़ ने एंबुलेंस को रास्ते में रोका और आग लगा दी. इन तीनों लोगों की पहचान तोंसिंग हैंगिंग (8), उसकी मां मीना हैंगिंग (45) और रिश्तेदार लिदिया लोरेम्बम (37) के तौर पर हुई है.
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आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद शुरू हुई हिंसक झड़पें
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गयी थीं. मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है.
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