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मणिपुर हिंसा : गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक शुरू, शरद पवार, ममता ने दूरी बनाई

New Delhi : मणिपुर में मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक शनिवार को यहां शुरू हुई. खबरों के अनुसार बैठक संसद भवन में हो रही है. बैठक में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता हिस्सा ले रहे हैं. बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हैं.">https://lagatar.in/category/desh-videsh/">

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बैठक में  कौन-कौन नेता हुए शामिल 

बैठक में  मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह (कांग्रेस), तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, मेघालय के मुख्यमंत्री एवं नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा, शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नेता एम. थंबी दुरई, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा, बीजू जनता दल (बीजद) के नेता पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा शामिल हुए. पशुपति पारस और सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास  भी यहां मौजूद हैं.

इंटरनेट पर प्रतिबंध 25 जून तक  तक  बढ़ा दिया गया 

बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय और अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका  भी  शिरकत कर रहे हैं.  ममता बनर्जी और शरद पवार इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. हालांकि बैठक में टीएमसी सांसद मौजूद हैं. मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच पिछले महीने तीन मई को भड़की हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं. राज्य में जारी अशांति को देखते हुए इंटरनेट पर प्रतिबंध को 25 जून तक बढ़ा दिया गया है.

50 दिन के बाद भी हिंसा नहीं रुकी है

मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन द्वारा तीन मई को आहूत आदिवासी एकता मार्च में हिंसा भड़क गयी थी. शाह ने पिछले महीने चार दिन के लिए राज्य का दौरा किया था और मणिपुर में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी. विपक्षी दल स्थिति से निपटने के तरीके को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि 50 दिन के बाद भी हिंसा नहीं रुकी है. [wpse_comments_template]

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