Search

मणिपुर हिंसा : INDIA के घटक दलों का संसद परिसर में प्रदर्शन, पीएम संसद में वक्तव्य दें...

New Delhi : विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के घटक दलों ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर आज सोमवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया. विपक्षी सांसदों के इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, द्रमुक के टी आर बालू, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और अन्य पार्टियों के सांसद शामिल हुए.                                             ">https://lagatar.in/category/desh-videsh/">

  नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें

इंडिया डिमांड्स पीएम स्टेटमेंट इन बोथ हाउसेज

विपक्ष के सांसदों ने हाथों में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर लिखा था कि इंडिया डिमांड्स पीएम स्टेटमेंट इन बोथ हाउसेज (भारत प्रधानमंत्री से दोनों सदनों में वक्तव्य की मांग करता है). उन्होंने प्रधानमंत्री सदन में आओ… के नारे भी लगाए. विपक्षी दल मणिपुर के विषय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद के भीतर वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए सोमवार को भी कार्यस्थगन के नोटिस दिये.

खड़गे ने कहा, पीएम  इस मामले पर अपनी बात रखें

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लियाकार्जुन खड़गे ने कहा, हम भी चर्चा के लिए तैयार हैं. प्रधानमंत्री इस मामले पर अपनी बात रखें. कहा कि अगर 140 करोड़ का नेता बाहर प्रेस से बात करता है और 140 करोड़ जनता के प्रतिनिधि अंदर(संसद में) बैठे हैं, तो आप(प्रधानमंत्री) पहले अंदर अपना बयान दीजिए. उसके बाद हम एक निर्णय लेंगे.

मानसून सत्र  में  दोनों सदनों में  विधायी कामकाज नहीं हो सका 

मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिनों में दोनों सदनों में कोई प्रमुख विधायी कामकाज नहीं हो सका. मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाये जाने का वीडियो गत बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया. अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment