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मनमोहन सिंह का पीएम मोदी को पत्र, वैक्सीनेशन में तेजी लाने की सलाह दी

NewDelhi :  पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पीएम मोदी को पत्र लिख कर  वैक्सीनेशन में तेजी लाने की सलाह दी है, पत्र में उन्होंने लिखा कि कोविड के खिलाफ हमारी लड़ाई एक राष्ट्रीय चुनौती है. हमें टीकाकरण पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के नंबरों के बजाय कितनी फीसदी आबादी का टीकाकरण किया गया है इस पर ध्यान देना चाहिए.

  बता दें कि शनिवार को  कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की बैठक में आरोप लगाया गया था कि कोरोना महामारी से निपटने में केंद्र सरकार का भारी कुप्रबंधन और अक्षमता देखने को मिली है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में हुई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की बैठक में यह फैसला भी किया गया था कि  पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पार्टी के सुझावों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजेंगे. इसी को लेकर आज मनमोहन सिंह ने पीएम को पत्र भेजा है.

केंद्र सरकार ने सभी शक्तियां अपने हाथों में ले ली

कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि कांग्रेस कार्यसमिति ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे देश भर में जरूरतमंद लोगों की मदद करें. प्रदेश कांग्रेस कमेटियों से कहा गया है कि वे राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन स्थापित करें, ताकि लोगों की मदद की जा सके.  

कांग्रेस कार्यसमिति ने आरोप लगाया कि पहले दिन से ही केंद्र सरकार ने महामारी के नियंत्रण से संबंधित सभी शक्तियां और अधिकार अपने हाथों में ले लिये.  महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत केंद्र सरकार का हर आदेश तथा निर्देश कानून बन गया और राज्य सरकारों के पास प्रशासनिक उपायों को अपनाने व लागू करने का कोई अधिकार या स्वतंत्रता नहीं रही.

संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किये गये प्रारंभिक उपाय सतही थे

  कहा, संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किये गये प्रारंभिक उपाय सतही थे. जब कोई टीका या उपचार उपलब्ध नहीं था, ऐसी पस्थितियों में रोकथाम ही मात्र विकल्प था. उसके लिए टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट’ की जरूरत थी, लेकिन इस दिशा में भी केंद्र सरकार का प्रयास अपर्याप्त रहा.

उसने आरोप लगाया, केंद्र सरकार इस संबंध में पर्याप्त जन जागरूकता पैदा करने में असफल रही कि महामारी का घटता हुआ प्रकोप महामारी की दूसरी लहर का सूचक हो सकता है, जो कि पहली लहर की तुलना में अधिक विनाशकारी हो सकता है.  अपारदर्शी पीएम-केयर फंड में सैकड़ों करोड़ रुपए जमा होने के बावजूद राज्य सरकारों को पर्याप्त धन मुहैया कराने में केंद्र विफल रहा, जबकि राज्य दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे थे. एक महामारी के खिलाफ और दूसरा आर्थिक मंदी के खिलाफ.