आफत : आंदोलनकारियों ने बीसीसीएल के खिलाफ जमकर की नारेबाजी
धनबाद : झरिया में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ शनिवार से 24 घंटे का सत्याग्रह आंदोलन शुरू हो गया है. आंदोलन से पूर्व झरियावासी देशबंधु सिनेमा हॉल से पदयात्रा करते हुए चिल्ड्रेन पार्क पहुंचे, जहां महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. पुनः देशबंधु सिनेमा हॉल पहुंच कर 24 घंटे के सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की. इस दौरान आंदोलनकारियों ने बीसीसीएल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और झरियावासी की सेहत से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया.
आंदोलन में शामिल डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि झरिया के चारों तरफ आउटसोर्सिंग के तहत कोयला की खुली खदानों में मानक के विरुद्ध खनन कार्य चल रहा है .जिससे झरिया शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है .प्रदूषण के कारण लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास हो रहा है. लोग स्वांस संबंधित बीमारी जैसे अस्थमा, न्युमोकोनोसिस, टीवी, कैंसर, मानसिक तनाव जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. गर्भ में पल रहे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं. लोगों की औसत उम्र भी कम हो रही है. ऐसे में अब आंदोलन के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है.यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक झरियावासी को प्रदूषण से निजात नहीं मिल जाती है. झरिया राज परिवार की राजवधु माधवी सिंह ने कहा कि झरिया में बढ़ते प्रदूषण से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. यहां के लोग कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. कई बार इसे लेकर बीसीसीएल, जिला प्रशासन और राज्य सरकार तक को लिखित आवेदन दिया गया. बावजूद इसके आज तक झरियावासी को बीसीसीएल के प्रदूषण से निजात नहीं मिल पाया. प्रदूषण की मात्रा दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है. इस बढ़ते प्रदूषण से निजात पाने के लिए झरियावासी सत्याग्रह आंदोलन का सहारा ले रहे हैं.
सुबह तक जम जाती धूल की मोटी परत
झरिया में प्रदूषण ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है. रात में यदि अपना धोया हुआ कपड़ा आप छत पर भूल जाते हैं, तो उक्त कपड़ा सुबह धूल से सना मिलेगा. हर सुबह छत पर मोटी परत जम जाती है. यह हाल झरिया शहर का है. अब आप समझ सकते हैं कि आउटसोर्सिंग क्षेत्र के लोगों का क्या हाल होगा. यहां से लोगों का पलायन तक हो रहा है. बावजूद इसके इस पर नियंत्रण के लिए कोई नीति नहीं बन रही है .
आईआईटी ने जामताड़ा के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के सिखाए गुर
धनबाद : आईआईटी-आईएसएम के संकाय सदस्यों ने शनिवार को जामताड़ा के करमाटांड़ के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के गुर सिखाए. संकाय सदस्यों का एक समूह 18 महीने से अधिक समय से जामताड़ा जिले के किसानों को कृषि आधारित उद्यमियों के रूप में विकसित करने में मदद करने के लिए जागरुकता पैदा करने में लगा हुआ है. समाज सुधारक ईश्वर की कर्मस्थली करमाटांड़ पहुंचे चंद्र विद्यासागर ने वैज्ञानिक खेती के बारे में एक अभियान चलाया, जिसमें मिट्टी तैयार करने की तकनीक और बेहतर उपज के लिए उपयोग की जाने वाली बीज किस्मों के ज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया. मौका था करमाटांड़ परिहायत भवन में प्रबंधन अध्ययन एवं औद्योगिक अभियंत्रण विभाग की सहायक प्रोफेसर रश्मी सिंह के नेतृत्व में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का, जिसमें स्थानीय मुखिया सूरजमुनि सोरेन और सरपंच के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसान और कृषि मित्र शामिल हुए. बीरेन चंद्र मुर्मू ने किसानों के सामने आने वाली कठिनाइयों, उचित सिंचाई सुविधाओं की कमी और वैज्ञानिक खेती के बारे में जागरुकता की कमी पर चर्चा की. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित परियोजना का हिस्सा था. जिसका शीर्षक था, “झारखंड राज्य के जामताड़ा जिले में गेम थ्योरेटिक और ऑपरेशंस रिसर्च तकनीक का उपयोग करके अनुसूचित जनजाति समुदायों की आर्थिक भलाई में सुधार करना” आईआईटी (आईएसएम) टीम में प्रबंधन अध्ययन और औद्योगिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नीलाद्रि दास शामिल हैं.
पारंपरिक कृषि तकनीकों पर निर्भर है 260 किसान परिवार
260 घरों वाले गांव के अधिकांश किसान अनजान हैं. सरकार की किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं. ग्रामीण अधिकांश अनुसूचित जनजाति परिवारों से हैं. अभी भी पारंपरिक कृषि तकनीकों पर निर्भर हैं और खेती के लिए अपने स्वयं के बीजों का उपयोग भी करते हैं. प्रोफेसर सिंह ने कहा कि खेती में होनेवाली समस्या का पता लगाने के लिए शनिवार को कार्यशाला आयोजित की गई. गांव के निवासियों को एक विशेष माध्यम से सामना करना पड़ा. जून 2022 के दौरान शुरू हुई और अब तक 12 से अधिक गांवों में इसी तरह की कार्यशालाएं आयोजित की गई है.
बाघमारा पहुंचे आद्रा डीआरएम, खानुडीह रेल फाटक में ओबी निर्माण को लेकर कहा-पुल निर्माण का अप्रूवल झारखंड सरकार को करना है
बाघमारा : दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा रेल मंडल के डीआरएम सुमित नरुला शनिवार के दिन बाघमारा के खानुडीह रेलवे स्टेशन के करीब तेलोटांड साइडिंग में पहुंचे. इस मौके पर उपस्थित लोगों ने उनका बुके प्रदान कर स्वागत किया. इस मौके पर लोगों द्वारा बाघमारा खानुडीह रेल फाटक में ओवरब्रिज (ओबी) निर्माण का सवाल रखे जाने पर डीआरएम ने झारखंड सरकार के पाले में सरकाते हुए कहा कि पुल निर्माण का अप्रूवल झारखंड सरकार को करना है. उन्होंने कहा कि बाकी निर्णय लिया जा चुका है, जबकि अंतिम अप्रूवल झारखंड सरकार को लेना है. जिसके उपरांत ही पुल निर्माण किया जा सकता है. इस मौके पर बाघमारा के विधायक प्रतिनिधि शरद महतो ने डीआरएम से खानुडीह ओवर ब्रिज एवं ट्रेन ठहराव इत्यादि समस्याओं को रखा तथा उपरोक्त समस्याओं के निदान की मांग की. इस अवसर पर मुख्य रूप से बैजनाथ यादव, नरेश गुप्ता, शिव कुमार सिंह, सुरेश साव, बच्चू राय, राजू शर्मा, बंटी हरि, गौतम राय, टूनटुन चौरसिया, विश्वनाथ साव, अजय साव, नीरज साव, महेश पासवान इत्यादि उपस्थित थे.
लंबित आवास योजनाओं को समय पर पूरा करने का निर्देश
झारखंड विधानसभा की आवास समिति ने परिसदन में जिले के पदाधिकारियों के साथ की बैठक
धनबाद : झारखंड विधानसभा की आवास समिति ने शनिवार को परिसदन में जिले के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. समिति के सभापति ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन ने बैठक में लंबित आवास योजनाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने का निर्देश दिया. समिति के सभापति ने लंबित आवास योजनाओं को जल्द पूरा करने तथा निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके भवनों को हैंडओवर का निर्देश दिया गया. साथ ही जहां आवश्यक है, वहां भूमि उपलब्ध कराने के लिए अपर समाहर्ता को निर्देशित किया. इसके अलावा सभापति ने सभी पदाधिकारी से संवेदक की लापरवाही पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट की मांग की. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कहीं संवेदक की लापरवाही से कार्य में देरी हो रही है तो उन पर शोकॉज करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित करें.समिति ने स्वास्थ्य, शिक्षा, भवन निर्माण, पथ निर्माण, पेयजल, परिवहन, राजस्व एवं भूमि सुधार, विद्युत, समेत अन्य सभी जिला स्तरीय विभागीय पदाधिकारियों से योजनाओं की जानकारी ली. बैठक में निदेशक अपर समाहर्ता विनोद कुमार, सिविल सर्जन डॉ. चंद्रभानु प्रताप, पथ निर्माण, भवन निर्माण, पेयजल, समेत जिला स्तरीय अन्य सभी पदाधिकारी उपस्थित थे.
खान सुरक्षा व दक्षता को लेकर पेस्ट फिलिंग टेक्नोलॉजी शुरू
टाटा-झरिया डिविजन में नई तकनीक का प्रयोग
धनबाद : टाटा स्टील के झरिया डिवीजन ने हाल ही में खदान के अंदर खाली जगहों को भरने के लिए 10 एम 3/ एच की क्षमता वाले एक पेस्ट फिलिंग पायलट प्लांट शुरू किया गया है. प्लांट का उद्घाटन डिगवाडीह कोलियरी में डीबी सुंदरा रामम वाईस प्रेसिडेंट रॉ मेटेरियल्स, संजय राजोरिया जनरल मैनेजर झरिया डिवीजन, टाटा स्टील की उपस्थिति में किया गया. यह भारत में पहली बार है, जहां टाटा स्टील कोयला खदानों की बैकफ़िलिंग के लिए इस तकनीक का उपयोग कर रही है.
मौजूदा सैंड स्लरी बैकफिलिंग विधि के विपरीत, जो बोरहोल चोकिंग, पृथक्करण और ढेर लगाने की समस्याओं का कारण बनती है. पेस्ट फिलिंग की तकनीक अपने सेल्फ लेवलिंग और सीमेंटेड फ्लाई ऐश पेस्ट के नियंत्रित प्रसार के माध्यम से उच्च दक्षता प्राप्त करती है. विभिन्न संयोजन और प्रवाह गुणों वाले पेस्ट को डिगवाडीह कोलियरी में रेलवे लाइन के नीचे खाली स्थानों में डाला जाएगा. इस परीक्षण की सफलता मौजूदा साइट पर 1 किमी से अधिक लंबाई की खाली जगहों को भरने के लिए मोबाइल सेटअप के विकास और उत्पादन एवं माइन फायर साइट्स पर संभावित अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करेगी.
यह तकनीक न केवल खदानों को भरने के लिए नदी की रेत का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करती है. बल्कि इसका उद्देश्य रेलवे लाइनों, राजमार्गों और भूमिगत कोलियरियों के ऊपर स्थित स्थायी संरचनाओं के नीचे दुर्गम स्थानों में सुरक्षा बढ़ाना भी है. टाटा स्टील, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सीएसआईआर-सीआईएफएमआर) और आईआईटी-खड़गपुर के बीच सहयोग से विकसित यह तकनीक भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक संभावनाएं दर्शाती है. उद्घाटन के अवसर पर नरेंद्र कुमार गुप्ता, चीफ जामाडोबा ग्रुप, मयंक शेखर, चीफ सिजुआ ग्रुप, राजेश चिंतक, चीफ एचआरबीपी रॉ मैटेरियल्स, डॉ. वीरेंद्र सिंह, प्रिंसिपल साइंटिस्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट, टाटा स्टील, और डॉ. प्रशांत, सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, और डॉ. संतोष कुमार बेहरा, सीनियर साइंटिस्ट, सीएसआईआर-सीआईएफएमआर, धनबाद उपस्थित थे.
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